आम आदमी पार्टी में नित नए खुलासे हो रहे हैं। पार्टी झाड़ू की तीलियों की तरह बिखरती नजर आ रही है। कई आम लोग बोल रहे हैं मुद्दत बाद सोचा था कि कोई काम करेगा। गली-कूचों से लेकर सोशल मीडिया तक आप-आप हो रहा है। फेसबुक पर आप को लेकर बुद्धिजीवियों और आम लोगों ने अपनी राय रखी है।
आम आदमी पार्टी में चल रही खींचतान के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि पार्टी में संकट से जुड़ी सभी खबरें काल्पनिक हैं और यह समय चुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद काम करने का है न कि छोटी हरकतों में उलझने का।
फेसबुक की एक रिपोर्ट के अनुसार ऊंची लागत, खराब उपलब्धता और उचित उपकरणों के चलते विकासशील देशों में ज्यादातर लोग अभी भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने में पीछे हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि अपने रिश्तों में भावनात्मक तौर पर असुरक्षित महसूस करने वाले लोग फेसबुक पर ज्यादा सक्रिय होते हैं। वह दूसरे लोगों का ध्यान खींचने की उम्मीद के साथ लगातार अपनी वाल पर टिप्पणी करते रहते हैं। दूसरों की टिप्पणियों को लाइक करते हैं और अपना स्टेटस बदलते रहते हैं।
हरितक्रान्ति के गवाह पंजाब में बैसाखी के बाद किसान ढोल-नगाड़े तो अब वैसे भी नहीं बजाते। लेकिन कृषि प्रधान देश के लिए यह बात शर्म की है कि इस मौके पर आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाएं अपने हक के लिए चौखट से बाहर निकल सडक़ों पर आ गई हों। खेतों से मंडियों में पहुंचे गेंहू के सुनहरे दाने और इन दिनों रोपे जा रही धान की पौध इन्हें खुश नहीं कर रहीं। इनके हमनिवाज कर्ज के चलते आत्महत्या कर चुका है, जमीन इनके पास है नहीं, कर्जा जस के तस है, बैंक और आढ़ती इन्हें जलील करने से बाज नहीं आ रहे, जमींदारों के घरों का गोबर उठाकर बच्चे पाल रही हैं या लोगों के फटे लीड़े सिलती हैं ये।