बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के भरोसेमंद सतीश चंद्र मिश्रा के नाम पर मुहर लगाई है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की सीटों के लिए लॉबिंग तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक सात सदस्यों को राज्यसभा में भेज सकती है ऐसे में कई लोग सपा की आेर भी टकटकी लगाए बैठे हैं। सपा से बेनी प्रसाद वर्मा को राज्यसभा भेजा जाना जहां तय हो चुका है वहीं कुछ नामों को लेकर मंथन चल रहा है।
राज्यसभा की खाली हो रही 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव 11 जून को कराए जाएंगे। इसमें शराब व्यवसायी विजय माल्या द्वारा खाली की गई एक सीट भी शामिल है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में अपने-अपने घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहारों की पेशकश करने वाली द्रविड़ पार्टियों पर सीधे हमला बोला है। मायावती ने मतदाताओं से ऐसे प्रलोभनों में नहीं आने की अपील की और कहा कि वे (द्रविड़ पार्टियां) आपकी समस्याओं का समाधान नहीं करेंगी।
केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने आदेशों के बावजूद एक आरटीआई अर्जी में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नहीं देने के आरोप पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आयोग की पूर्ण पीठ के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए नया नोटिस जारी किया है।
साल 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बाहुबली नेता डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में लेने से इनकार कर दिया था। उसके बाद ही प्रदेश में ऐसा माहौल बना कि अखिलेश पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आए।
उज्जैन सिंहस्थ में विश्व हिंदू परिषद के मंडप में बीते दो दिन संतों की बैठक हुई। संत समाज से आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, जूना अखाड़ा सहित कई महामंडलेश्वर, शंकराचार्य आदि शामिल हुए। बैठक में सभी ने विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय से चर्चा की।
सूखे का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ने लगा है। बालश्रम के लिए कार्यरत संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने सूखे से प्रभावित बच्चों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है।
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उज्जवला योजना उत्तर प्रदेश की जनता के लिए ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है। उन्होने कहा कि देश की ऐसी उच्च विकास दर का क्या लाभ जब ना तो देश में लोगों की ग़रीबी दूर हो पा रही है, ना ही बेरोज़गारी घट रही है, महंगाई आसमान पर है और ना ही लोगों को उनकी दिन-प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाली बुनियादी ज़रूरत की आवश्यक वस्तु ही सही ढ़ग से मिल पा रही हैं।