यूपी में चुनावी हलचल के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती भी आक्रामक होती दिख रही हैं। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार और सूबे की अखिलेश सरकार दोनों पर एक साथ निशाना साधा। उन्होंने मोदी और अखिलेश सरकार को खराब कानून व्यवस्था के लिए दोषी ठहराया और कहा कि क्या इसे सुधारने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जिम्मेदार हैं।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
लोकतंत्र में चुनाव मतदाताओं के लिए पर्व और पार्टियों तथा उम्मीदवारों के लिए चुनौती होता है। चुनाव आयोग पारदर्शिता एवं अधिकाधिक भागीदारी के साथ खर्च में नियंत्रण तथा अन्य सुधारों के लिए लगातार सिफारिशें करता रहा है। इन सिफारिशों पर सरकार तथा संसद को अमल करना है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि सपा और भाजपा की अंदरूनी मिलीभगत के कारण ही साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब होता है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में एक भाजपा विधायक और सपा के एक नेता षड्यंत्र रचने जा रहे हैं कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले साम्प्रदायिक दंगे कराए जाएं, ताकि उसकी आग पूरे प्रदेश में फैल जाए और उसका सियासी फायदा उठाया जा सके।
अमेरिका में दो नए चुनाव सर्वेक्षणों के मुताबिक इस साल होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन अपने प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप से आगे निकल गई हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने हाल में पार्टी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को बसपा और अपने समाज के प्रति गद्दार करार देते हुए कहा कि उनकी गलती की सजा उनके समाज को नहीं दी जाएगी और मौर्य की पार्टी में अब दोबारा कभी वापसी नहीं होगी।
बसपा छोड़कर सुर्खियों में आए स्वामी प्रसाद मौर्य का अगला कदम क्या होगा? इसको लेकर राजनीतिक गुणा-भाग जारी है। स्वयं मौर्य भी अपना पत्ता अभी नहीं खोल रहे हैं। इसके पीछे माना जा रहा है कि मौर्य अपनी ताकत को आजमाना चाहते हैं।
बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मौर्य ने बसपा अध्यक्ष मायावती पर आरोप लगाया कि वे पैसा लेकर टिकट बेचती हैं और दलित आंदोलन की हत्या कर रही है।