पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई के इस्तीफे से माओवादी पार्टी में दो-फाड़ की आशंका तेज, भारत का सीमा पर दबाव बढ़ा, आपूर्ति रोकने से जरूरी चीजों का संकट
एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू करने की सरकारी अधिसूचना जारी होने में अभी एक और महीने का समय लग सकता है। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने आज कहा कि इसमें दो-चार सप्ताह और लग सकते हैं क्योंकि यह एक विस्तृत मुद्दा है।
देश में आपातकाल की घोषणा कर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जितनी आलोचनाएं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके राजनीतिक दल की झेलीं, उतनी आलोचना शायद ही किसी और राजनीतिक दल ने की हो। लेकिन अब खुफिया ब्यूरो के पूर्व प्रमुख टीवी राजेश्वर की मानें तो संघ ने भी आपातकाल का समर्थन किया था और उस वक्त के संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी से संपर्क साधने की भी कोशिश की थी।
अनुभवी प्रशासक जगमोहन डालमिया के निधन ने बीसीसीआई को विभाजित कर दिया गया है। पूर्व क्षेत्र की इकाइयों ने अपना स्वयं का उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है जिससे उत्तराधिकार की लड़ाई में नया मोड़ आ गया है।
एक भारतीय लड़की के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने की खबर ने खुफिया एजेंसियों समेत लोगों को हैरत और चिंता में डाल दिया है। लड़की सेना के एक सेवानिवृत्त आलाधिकारी की बेटी बताई जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने राज्य के पूर्व कानून मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती के खिलाफ उनकी पत्नी लिपिका मित्रा द्वारा लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्टीकरण के बाद पूर्व सैनिकों ने वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर चल रहा आमरण अनशन खत्म करने का ऐलान किया है लेकिन लंबित मुद्दों पर उनका आंदोलन जारी रहेगा। पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर 12 सितंबर को एक महारैली करेंगे।
मोदी सरकार ने बेशक वन रैंक वन पेंशन की मांग मान ली है लेकिन पूर्व सैनिक इससे संतुष्ट नहीं। वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर पिछले कई दिनों से धरना दे रहे पूर्व सैनिकों का कहना है कि उनका धरना और भूख हड़ताल जारी रहेगी।
15 साल की उम्र में अभिनेता धर्मेंद्र की फिल्म मैं इंतकाम लूंगा देखकर मुक्केबाजी रिंग में उतरे कमल कुमार वाल्मीकि ने जिला और प्रदेश स्तर पर कई पदक जीते और उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया। लेकिन एक सफाई कर्मचारी का यह होनहार मुक्केबाज बेटा पैसों की तंगी के कारण आगे नही खेल सका और अब यह अपने मुक्केबाजी के करियर के सपनों को दफन कर रोजी रोटी के लिये 4200 रूपये प्रति माह पर कूड़ा-गंदगी उठा रहा है।
मेजर जनरल (रिटायर्ड) मोहन सिंह की फौज में सर्विस को महज नौ साल हुए थे। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्हें एक अहम जिम्मेदारी दी गई। गुरदासपुर की सरहद पर लगते पाकिस्तान में एक पुल था जिसके जरिये पाक सैनिक गुरदासपुर होते हुए पठानकोट के जरिये कश्मीर को भारत से काट देना चाहते थे। उस पुल को नेस्तेनाबूद करने की जिम्मेदारी मेजर मोहन सिंह को दी गई। वह बताते हैं कि ‘ मेरे साथ दस सैनिक और थे। हमने पूरी रात लेट लेट कर सड़क पर बारूद बिछाया। खड़े होते तो सीमा पार से फायरिंग होती। हमारे जिंदा वापस आने की उम्मीद सिर्फ 30 फीसदी थी। मुझे मेरी पत्नी और बच्चों का जरा सा ख्याल नहीं आया, खयाल था तो बस उस पुल को मिटा देने का। हमने इस मिशन पर फतह हासिल की। ’ मेजर मोहन सिंह के अनुसार फौज इस देश के लिए क्या करती है यह बात उन लोगों को शायद पता ही नहीं जिन्होंने हमारी वन रैंक-वन पेंशन की मांग पर फैसला लेना है। वह कहते हैं ‘जिस देश में फौज की इज्जत नहीं होती उसे टुकड़ों में बंटने से कोई नहीं रोक सकता। अगर इन सालों में हमारी पाकिस्तान से लड़ाई नहीं हुई है तो इसका कारण भारत की फौज का मजबूत होना है लेकिन सरकार के रवैये से फौज का हौसला गिरता जा रहा है।