बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले गाय को लेकर प्रकाशित भाजपा के एक विज्ञापन पर राजनीति गरमा गई है। इस विज्ञापन पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए नीतीश कुमार नीती महागठबंधन ने चुनाव आयोग से शिकायत करने का फैसला किया है।
देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता पर विपक्ष समेत विभिन्न वर्गों की आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद कांग्रेस को असहिष्णुता पर हमें उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है, वे इस विषय पर ड्रामा कर रहे हैं।
बिहार में चुनावी परिणाम चाहे जो रहे, सरकार चाहे नीतीश कुमार की बने या नरेंद्र मोदी की, इन चुनावों के प्रचार ने राष्ट्रीय राजनीति के कई बंद दरवाजों को खोला है। कई ऐसे समीकरण आए, जिनके बारे में कुछ सालों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। नीतीश और लालू का साथ आना, अति पिछड़ा वर्ग का निर्णायक स्थिति में पहुंचना, तमाम वाम दलों का मिलकर चनाव लड़ना और पहली बार देश के प्रधानमंत्री का किसी राज्य के चुनाव के लिए रिकॉर्ड सभाएं करना। इन तमाम पहलुओं पर बिहार की जनता ने पैनी निगाह रखी और हर पहलू पर जमकर चर्चा हुई। ये बहसें सिर्फ बिहार की धरती तक ही सीमित नहीं रहीं, जहां भी बिहारी हैं, वहां बिहार के राजनीतिक भविष्य पर चिंता हावी रही।
बिहार विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में सात जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और सीवान के कुल 55 विधानसभा क्षेत्राें में आज छिटपुट घटनाओं के साथ मतदान समाप्त हो गया। शाम 5 बजे तक 57.59 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
चुुनाव अपने यहां सचमुच उत्सव हैं। चुनाव लडऩे-लड़ाने वालों को छोडक़र सभी इसको इंज्वॉय करते हैं। और बिहार चुनाव तो उत्सवों के समय ही होते रहे। दशहरा, दीपावली- सबको निबटाते हुए चुनाव में भागीदारी का अलग ही आनंद है। बिहार का आदमी थोड़ा हटकर भी होता है। वह अमेरिकी चुनाव को लेकर भी अंदर की खबरें जानता-समझता है। इस मामले में भुच्च बिहारी भी इंटरनेशनल है। इसलिए कोई यह कैसे सोच सकता है कि अपने घर में हो रहे चुनाव के अंदर की खबरें उसके पास नहीं होंगी।
बिहार चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के एक बयान पर खास विवाद खड़ा हो गया है। पूर्वी चंपरण के रक्सौल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर भाजपा किसी वजह से बिहार चुनाव हार जाती है तो हार-जीत तो पटना में होगी लेकिन पटाखे पाकिस्तान में छोड़े जाएंगे। शाह के इस बयान को बिहार चुनाव में भाजपा की हताशा के तौर पर भी देखा जा रहा है।
पहली बार मैं किसी मामले में अमित शाह से खुद को पूरी तरह सहमत पाता हूं। यह कि बिहार चुनाव केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है।
चुनाव अपने यहां सचमुच उत्सव हैं। चुनाव लड़ने-लड़ाने वालों को छोड़कर सभी इसको इंज्वॉय करते हैं। और बिहार चुनाव तो उत्सवों के समय ही होते रहे हैं। बिहार का आदमी थोड़ा हटकर होता है। उसे अमेरिकी चुनाव की भी अंदरुनी जानकारी होती है तो यह कैसे कह सकते हैं कि बिहार में हो रहे चुनाव के अंदर की खबरें उसके पास नहीं होंगी।
बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में आज 6 जिलों सारण, वैशाली, नालंदा, पटना, भोजपुर और बक्सर की 50 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हुआ। इस दौर में करीब 53.32 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।