जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर पीडीपी और भाजपा ने दोनों के बीच मतभेदों या नई शर्तों की अटकलों को खारिज कर दिया। दोनों ही दलों के नेताओं ने कहा कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है लेकिन सरकार बनाने मे दोनों कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं। वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सईद के निधन के दो दिनों के बाद भी राज्य में नई सरकार का गठन नहीं होने पर सवाल उठाया है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का, प्लेटलेट्स के खतरनाक स्तर तक गिरने के बाद आज दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। वह जम्मू कश्मीर के शक्तिशाली अब्दुल्ला परिवार के साथ मुकाबला करने वाले ऐसे कुशल नेता थे जो देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री बने। पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में पिछले साल एक मार्च को मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने वाले सईद (79) ने पिछले कुछ दिनों से वेंटीलेटर पर रहने के बाद आज सुबह अंतिम सांस ली।
वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता एबी बर्धन का शनिवार को निधन हो गया। बर्धन को पिछले दिनों पक्षाघात के बाद दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। शनिवार की रात 8. 30 मीनट पर उन्होंने अंतिम सांसे लीं।
राम जन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार और हिंदुत्ववादी विचारधारा को उभारने में अहम भूमिका निभाने वाले विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।
बॉलीवुड के जाने-माने संगीतकार-गीतकार रवींद्र जैन का आज मुंबई के लीलावती में निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। जैन किडनी की समस्या से पीड़ित थे और पिछले दिनों यूरिनरी इंफेक्शन के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कल तक उनकी हालत स्थिर बताई जा रही थी मगर आज सुबह उनके निधन की खबर आई।
क्रिकेट में अंग्रेजों का दबदबा खत्म कर भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया का रविवार शाम दिल का दौरा पड़ने से कोलकाता में निधन हो गया।
रवींद्र संगीत की प्रतिष्ठित गायिका शुभ्रा मुखर्जी 74 वर्ष की थीं और पिछले कुछ समय से बीमार थीं। उन्होंने आज सुबह 10 बजकर 51 मिनट पर आर्मी हाॅस्पिटल में अंतिम सांस ली। वह 11 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहीं।
बान की मून ने कहा कि कलाम के निधन पर दुनिया भर में व्यक्त की गई संवेदना इस बात का सबूत है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान और उसके बाद कलाम ने किस कदर सम्मान और प्रेरणा अर्जित की।
30 जुलाई को दो बहुचर्चित जनाजे निकले। एक खुले समुंदर के पास रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ, तिरंगे में लिपटा। दूसरा, नागपुर केंद्रीय कारावास की कालकोठरी से निकाल फंदे पर झुला कर कब्रिस्तान के लिए रुखसत किया गया। एक सिंहासन चढ़ि चला तो एक बंधा जंजीर। काल की दो लीलाएं। मृत्यु के दो थिएटर। लेकिन एक ही देश के दो नागरिक, एक ही मजहब के दो लोग। हालांकि मृत्यु पूर्व जीवन के दो अलग-अलग रंगमंच। अब्दुल कलाम अपने रंगमंच पर भारतीय राज्य प्रतिष्ठान के हीरो और याकूब मेमन भारतीय राज्य प्रतिष्ठान का मुजरिम तो मुजरिम, विलेन भी। पहले को मौत के बाद भी मुख्यधारा जनमानस और सूचना-प्रचार तंत्र से ‘अमर रहे’ और ‘जिंदाबाद’ की विदाई। दूसरे के लिए मौत के पहले ही उसी मानस और तंत्र से ‘फांसी दो, फांसी दो’ तथा ‘मुर्दाबाद’ की गूंज जिसके आगे न्यायपालिका भी नतमस्तक हो गई।