नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के करीब दो साल बाद उनकी मां हीरा बेन पहली बार 7 रेसकोर्स रोड स्थित उनके आधिकारिक आवास पर आईं।
मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से कुछ तस्वीरें सार्वजनिक कीं, जिसमें उन्हें अपनी मां को आवास के बगीचे की सैर कराते देखा जा सकता है।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस छोड़ फिर सपा का दामन थाम लिया। समाजवादी पार्टी में वापसी के लिए उन्होने राज्यसभा की सीट मांगी थी। जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया।
सिंहस्थ महाकुंभ में समरसता स्थान को लेकर मचा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समरसता स्नान के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। लेकिन कांग्रेस इसको लेकर लगातार भाजपा पर निशाना साध रही है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान बुधवार को पहले वाल्मीकि घाट पर दलित साधुओं के साथ स्नान किया फिर बाद में समरसता भोज के तहत भोजन भी ग्रहण किया।
सिंहस्थ कुंभ मे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में बुधवार को आयोजित सामाजिक समरसता स्नान का स्वरूप पुरानी घोषणा के मुकाबले बदला नजर आया। आयोजन में दलित समुदाय के संतों के साथ अन्य हिन्दू पंथों और संप्रदायों के धर्मगुरू भी शामिल हुए।
नाम में क्या रखा है, काम जरूर देखो। डिग्री बहुत बड़ी, देश के साथ विदेश की हो, नाम धनवान या गरीब खानदान से हो- असली परीक्षा परिवार-समाज और राष्ट्र को पहुंचाए गए लाभ से हो सकती है। इसी तरह विरोध की राजनीति, आंदोलन-असहमति-असहयोग और कठोर आलोचना की हो सकती है। लेकिन अब शिक्षा की डिग्री पर राजनीतिक बवाल मचाने का नया घटिया खेल शुरू हुआ है।
अरविंद केजरीवाल को करारा जवाब देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीए और एमए की डिग्रीयां जारी कीं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री ने डिग्री पर जवाब दिया।
गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या को राज्यसभा में भेजने में मोदी सरकार सफल नहीं हो पाई और इस प्रकार गायत्री परिवार के करोड़ों अनुयायियों को पार्टी से जोड़ने की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मंशा पर भी पानी फिर गया। अमित शाह ने कम से कम तीन बार व्यक्तिगत रूप से डॉ. पांड्या को मनाने की कोशिश की मगर वह नहीं माने।
उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों के भाग्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर नौ मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।