भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत ब्याज दर में कटौती करेगा, बशर्ते उसे यह भरोसा हो जाए कि इस कटौती के बाद भी मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से नीचे बनी रहेगी।
ऊंची महंगाई दर का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि इस साल ब्याज दरों में हुई कटौती का पूरा फायदा बैंकों ने ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया है।
ब्याज दरें तय करने के मामले में आरबीआई गवर्नर की वीटो पावर खत्म करने के मुद्दे पर आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन भी सरकार के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं। राजन ने कहा है कि बेहतर होगा यदि एक व्यक्ति के बजाय कोई समिति मुख्य ब्याज दरों के बारे में फैसला करे। राजन के मुताबिक, इस मामले पर आरबीआई और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं है।
पिछले एक वर्ष में नीतिगत रेपो दर में 25-25 बेसिस प्वाइंट्स की तीन कटौतियों की सौगात दे चुका भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों से लोन लेने वाले ग्राहकों को इस साल की दूसरी त्रैमासिक मौद्रिक समीक्षा में शायद ही और कटौती करे।
हांगकांग के केंद्रीय बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक की हांगकांग शाखा पर स्थानीय हवाला निरोधक कानून और आतंकवाद निरोधी वित्तीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उस पर दस लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया है।
अगले साल फरवरी में होने वाले गेटवे साहित्योत्सव का दूसरा संस्करण भारतीय भाषाओं के साहित्य पर केंद्रित होगा। इसके आयोजक भारतीय भाषा के लेखकों को इस अयोजन में आमंत्रित करने की तैयारियों में जुटे हैं।
भारतीय हॉकी संघ (आईएचएफ) का अस्तित्व सन 1925 से है जिसे मेजर ध्यानचंद जैसे हॉकी के दिग्गजों ने स्थापित किया था। हमारे लिए यह बड़े सदमे की बात है कि सन 2009 में स्थापित हॉकी इंडिया के पक्ष में 90 साल पुराने आईएचएफ को अलविदा कर दिया गया क्योंकि हॉकी इंडिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। ओलिंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेलों से जुड़े कई पूर्व खिलाड़ी भारतीय हॉकी संघ की जगह अनुचित तरीके से हॉकी इंडिया को स्थापित करने का मुद्दा बार-बार उठाते रहे हैं लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
ठगी करने वाली धोखेबाज गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) की अब पंजाब में खैर नहीं। राज्य सरका ने विभिन्न लुभावनियों स्कीमों जैसे कि सांझी निवेश स्कीमों और बहु स्तरीय मार्किटिंग स्कीमों के नाम पर ठगी कर रही इन कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से तालमेल किया है।
दुनिया की शीर्ष 500 कंपनियों की फार्च्यून पत्रिका की सूची में जहां सिर्फ 7 भारतीय कंपनियों जगह बना पाई हैं वहीं चीन की 100 कंपनियां इस सूची में शामिल हैं। बड़ी कंपनियों के मामले में चीन की तुलना सिर्फ अमेरिका से हो सकती है जिसकी 128 कंपनियां इस सूची में हैं।