धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी को लेकर देश में पिछले कुछ समय से छिड़ी बहस के बीच केंद्र सरकार ने आज कहा कि हर धर्म के लोगों को अपने धर्म को चलाने की आजादी है।
बांग्लादेश के डेली स्टार समाचार पत्र के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार महफूज अनम पर देशद्रोह और मानहानि के कई मामले दर्ज कर उनका उत्पीड़न किए जाने पर एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गहरी चिंता जताई है और इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।
‘अंडरस्टैंडिंग दी फाउंडिंग फादर्स’ केवल भारत के महान नेताओं के राजनीतिक जीवन को ही समझने का प्रयास नहीं है बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और प्रख्यात विद्वान एवं शिक्षाविद राजमोहन गांधी ने इस किताब में भारतीय राष्ट्रवाद के उन शिल्पकारों की विरासत के आसपास पैदा हो रहे सवालों पर एक रोशनी डालने का प्रयास किया है जो आज राजनीतिक परिचर्चाओं में अच्छी-खासी सुर्खियां बटोर रहे हैं।
आज से 43 साल पुराने कानून का हवाला देते हुए केंद्र ने कहा है कि भारत कोहिनूर हीरे को वापस प्राप्त नहीं कर सकता है। इस नियम के तहत उन प्राचीन वस्तुओं को वापस लाने की अनुमति नहीं है, जो आजादी से पहले देश से बाहर ले जाई जा चुकी हैं।
पिछले कुछ दिनों से विवादों के केंद्र में रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद पर व्याख्यानों की महीने भर चली श्रृंखला के समाप्त होने के बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अब आजादी पर प्रस्तुति का सिलसिला शुरू करने का फैसला किया है।
भारत में आजादी के आंदोलन में छात्रों और नौजवानों की अहम भूमिका रही थी। शहीद भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और लोहिया तक उस युवा शक्ति के क्रांतिकारी पक्ष के प्रतीक हैं।
‘तोप चलाओ और सत्ता पाओ’। वह बात भूल जाएं कि तोप के बजाय अखबार निकालें, क्योंकि सरकारी बंदूक रखने वाले इसी हथियार की ताकत से सत्ता के बड़े पदों की कामना करने लगते हैं। तभी तो जल्द ही रिटायर होने वाले दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी ने राजनीतिक तोप इस्तेमाल कर राष्ट्रद्रोह के वर्तमान कानून को खत्म करने के बजाय इसका दायरा बढ़ाने की सलाह दे डाली है।
सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये जर्मनी में हिटलर के सत्ता में आने और भारत में आपातकाल के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए अभिनेता कमल हासन ने कहा कि हम बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते। साथ ही हासन ने लोकतंत्र में बोलने की आजादी के संरक्षण के लिए सतत निगरानी को जरूरी बताया।
वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत का मानना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में अगर कुछ लोग चाहते हों तो उन्हें बीफ सेवन की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंसद की आजादी होनी चाहिए।