अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के स्वरों को पर्याप्त जगह देना ही नहीं बल्कि इन स्वरों का संरक्षण देना भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है। मगर ऐसा लगता है कि हमारी केंद्र सरकार असहमति की छोटी से छोटी आवाज भी नहीं सुनना चाहती। तभी तो उसने देश के तीन बड़े समाचार चैनलों को याकूब मेमन की फांसी के कवरेज पर नोटिस जारी कर दिया है।
सूचना के अधिकार के तहत मिला नरेंद्र मोदी की सिर्फ दो यात्राओं का आंशिक ब्यौरा। सेशल्स में 1,26,61,928 रुपये (एक करोड़, छब्बीस लाख, 61 हजार 9सौ अठाइस रुपये) और मॉरिशस में 13,792,690 (1करोड़, 37 लाख, 92 हजार, छह सौ नब्बे रुपये खर्च हुए और यह आंशिक खर्च है। आखिर क्यों नहीं दे रहा पीएमओ पूरा ब्यौरा?
नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से पत्रकारों को रक्षा, गृह, विदेश, वित्त मंत्रालय के बाद अब संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में भी जाने पर मौखिक आदेश के जरिये प्रतिबंध लगा दिया गया है। पत्र सूचना कार्यालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी इन मंत्रालयों में जाने पर सुरक्षाकर्मी तभी अंदर जाने देते हैं जब अधिकारी चाहें।
देश के पहले सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रहस्यमय तरीके से गायब होने से जुड़े दस्तावेज हैं ही नहीं। उन्हें या तो चूहें कुतर गए या वे गुम हो गए।
फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन से डीडी किसान चैनल का प्रचार कराने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। इस बारे में अपनी सफाई देते हुए अमिताभ बच्चन ने जो तथ्य सामने रखें हैं, उनसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर अमिताभ बच्चन वाकई डीडी किसान का निशुल्क प्रचार करने वाले थे तो दूरदर्शन 8.5 करोड़ रुपये लुटाने पर क्यों आमादा रहा? कहीं अमिताभ की आड़ में दूरदर्शन और एड एजेंसी के बीच तो बड़ा खेल नहीं हो गया?
यूपीए सरकार के समय बड़े-बड़े दावों के साथ शुरू की गई सस्ते आकाश टैबलेट की परियोजना आईआईटी बंबई में बंद हो चुकी है। इसके भविष्य के बारे में संस्थान को कोई जानकारी नहीं है।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए उनके बेटे सुनील शास्त्री ने संबंधित फाइलों के खुलासे की मांग की है। इससे पहले मनमोहन सिंह सरकार उनकी इस मांग का अनसुना कर चुकी है।
द्रमुक के कलानिधि मारन और दयानिधि मारन बंधुओं के सन टीवी समूह के 33 चैनलों को सुरक्षा क्लीयरेंस वापस ले लेने के केंद्रीय गृहमंत्रालय के फैसले में दखल देने का प्रधानमंत्री कार्यालय का कोई इरादा नहीं है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इन चैनलों को सुरक्षा क्लीयरेंस देने के पक्ष में है। दोनों मंत्रालय इस बारे में आमने-सामने हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) पुणे के आंदोलनकारी छात्रों को इस सप्ताह मुलाकात का समय दिया गया है ताकि टेलीविजन अभिनेता गजेंद्र चौहान को अध्यक्ष के पद से हटाने की उनकी मांग पर चर्चा की जा सके। गौरतलब है कि बीते कई दिनों से छात्र गजेंद्र चौहान को उक्त पद से हटाने को लेकर हड़ताल पर हैं।