जयललिता अपने राज्य के लोगों के दिलों में राज करतीं थी। गरीबों के लिए उनके दिल में बहुत दर्द था जो उनकी योजनाओं से झलकता है। वह कुशल प्रशासक थीं इसकी वजह से तमिलनाडु में न सिर्फ कानून-व्यवस्था स्थिति अच्छी रही बल्कि वहां विकास के काफी काम भी हुए। यह कहते हुए जयललिता को पहली बार 1991 में शपथ दिलाने वाले तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह भावुक हो जाते हैं।
बहुजन समाज पार्टी को छोड़ने का सिलसिला जारी है। विधायक रोमी साहनी और बृजेश वर्मा ने बसपा प्रमुख मायावती पर पैसे लेने का आरोप लगा पार्टी छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि कुछ और विधायक मायावती का साथ छोड़ सकते हैं।
यात्रा भत्ते में घोटाले के आरोप में फंसे सांसद अनिल साहनी ने अपने बचाव में नया पर्दाफाश किया है कि ‘मैंने एलटीसी गिरोह के सदस्यों द्वारा मेरे नाम से फर्जी बिल जमा करने के बारे में 2013 में ही अधिकारियों से शिकायत की थी।’
लोगों की पहचान, संस्कृति और राजनीति को आकार देने के पीछे न अनगिनत आंदोलनों और अभियानों का हाथ होता है। शायद अनगिनत, और भीष्म साहनी जैसी शख्सियत को गढ़ने में भी स्वतंत्रता आंदोलन, पूर्वाग्रहों और अज्ञानता से जंग के कई अभियान गुजरे होंगे इसलिए उनका जीवन और उनके संस्मरण आज के दौर के लिए प्रासंगिक हैं।