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संसद में 64 विधेयक लंबित

संसद में 64 विधेयक लंबित

विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक सहित 64 विधेयक संसद में विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं। विधायी घटनाक्रम पर नजर रखने वाले एक अध्ययन समूह ने ये जानकारी दी है।
विपक्ष के ‌बिखराव का लाभ लेने की फिराक में सरकार

विपक्ष के ‌बिखराव का लाभ लेने की फिराक में सरकार

मंगलवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में विपक्ष के बिखराव का लाभ लेने की फिराक में सरकार जुट गई है। हालांकि भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे पर ज्यादातर विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं लेकिन अन्‍य मुद्दों पर कुछ दल चुप्पी साधकर सरकार का साथ दे सकते हैं।
सर्वदलीय बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा

सर्वदलीय बैठक में नहीं निकला कोई नतीजा

संसद सत्र सुचारू रूप से चले इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय कार्यमंत्री की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है, इसके अलावा ललित मोदी और व्यापमं घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की लेकिन सरकार की ओर से इसका कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान सरकार को घेरने की तैयारी पूरी कर ली है।
भूमि अधिग्रहण का मुद्दा छोड़ने के मूड में नहीं माेदी

भूमि अधिग्रहण का मुद्दा छोड़ने के मूड में नहीं माेदी

विपक्ष के तीखे तेवरों को पहले से ही भांपते हुए सरकार ने सुषमा, वसुंधरा और शिवराज सिंह चौहान पर होने वाले हमलों का बचाव करने की रणनीति बनाई है।
मोदी सरकार को शिकस्‍त देता भूमि अधिग्रहण का मुद्दा

मोदी सरकार को शिकस्‍त देता भूमि अधिग्रहण का मुद्दा

सरकार पर 'किसान विरोधी' होने का दाग लगवाकर भी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की जिद्द पर अड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही मुद्दा नीतिगत मोर्चे पर शिकस्त दे रहा है। बुधवार को हुई नीति आयोग की बैठक में तकरीबन साफ हो गया कि केंद्र सरकार संसद के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की आस छोड़कर राज्‍यों को अपने कानून बनाने के लिए प्रेरित करेगी। हालांकि, मोदी सरकार से यह प्रेरणा लेने के लिए केवल 16 मुख्यममंत्री मौजूद थे। यानी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कवायद पूरे देश के बजाय अब एनडीए शासित राज्यों तक सिमट जाएगी। लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर केंद्र से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आज केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह याचिका अध्यादेश के जरिए फिर से लागू भूमि अधिग्रहण कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुए किसानों के एक संगठन दिल्ली ग्रामीण समाज की ओर से दायर की गई थी। न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने किसानों के संगठन की इस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

भूमि विधेयक पर नीति आयोग राजनीति की काली छाया

मानसून पूर्व नीति आयोग की राजनीति से लोकसभा के मानूसन सत्र और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर घनघोर काली घटाएं मंडराने लगी हैं। मतलब लोकसभा में गर्जन-तर्जन होगा, बिजली कड़केगी, विपक्ष की बौछार तेज पड़ेे और संसद बाधित होती। 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और इस सत्र से पहले नीति आयोग की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जुबां पर किसान, निगाहें केंद्र पर

जुबां पर किसान, निगाहें केंद्र पर

मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
एनडीए में उठी भूमि अधिग्रहण पर श्‍वेत-पत्र की मांग

एनडीए में उठी भूमि अधिग्रहण पर श्‍वेत-पत्र की मांग

केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सहमति बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। बुधवार को वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर किसान नेताओं से मुलाकात की। किसान संगठनों ने भू-स्‍वामियों की मर्जी के खिलाफ जमीन न लेने और देश में आजादी के बाद हुए भूमि अधिग्रहण पर श्‍वेत-पत्र जारी करने की मांग उठाई है।
भूमि समझौताः भारत-बांग्लादेश ने इतिहास रचा

भूमि समझौताः भारत-बांग्लादेश ने इतिहास रचा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की पहली यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश ने ऐतिहासिक समझौते पर मुहर लगाई जिससे कुछ क्षेत्रों के आदान-प्रदान के जरिये 41 वर्ष पुराने भूमि सीमा विवाद का निपटारा हो सकेगा और द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण अड़़चन दूर हो सकेगी।
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