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क्‍या गोमाता भी हमें गोभक्‍तों से बचा पाएंगी | नीलाभ मिश्र

क्‍या गोमाता भी हमें गोभक्‍तों से बचा पाएंगी | नीलाभ मिश्र

धर्म या संप्रदाय की स्वनिर्मित अवधारणाओं के आधार पर अस्मिता या राष्ट्रीयता को परिभाषित करने वाली विचारधारात्मक सनक के हाथों भिन्न विचारों और आस्था वाले लोगों के साथ हिंसा और प्रताड़ना के आजादी के बाद से चले आ रहे सिलसिले को देखता हूं तो सोचता हूं, इस देश में कौन सुरक्षित है?
विश्व हिंदी सम्मेलन कथा

विश्व हिंदी सम्मेलन कथा

झीलों के शहर से हिंदी की सुरलहरी की अनुगूंज विश्व भर में गूंजी। देश-विदेश से आए लोग इस दिवस का हासिल है। साक्षीजनों के बीच से जो संदेश निकलकर आया, उसके अर्थ और निमित्त बहुत ही दूरगामी है।
वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
सेक्स वर्धक और रोगनाशक कड़कनाथ मुर्गा हो रहा लुप्त

सेक्स वर्धक और रोगनाशक कड़कनाथ मुर्गा हो रहा लुप्त

मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ का यह मुर्गा कोई आम मुर्गा नहीं है। आप इसे देसी वियाग्रा भी कह सकते हैं। चटख काले रंग के इस मुर्गे की मांग पाकिस्तान तक बताई जाती है। विलुप्त हो रही इस दुलर्भ प्रजाति का मांस बहुत सी बीमारियों को जड़ से खत्म करता है। यहां बात हो रही है कड़कनाथ मुर्गे की।
बढ़ाई बांध की ऊंचाई तो इस बार देंगे जलसमाधि

बढ़ाई बांध की ऊंचाई तो इस बार देंगे जलसमाधि

नर्मदा बचाओ आंदोलन के 30 वर्ष पूरे होने पर धरना देने दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे नर्मदा आंदोलनकारियों को आशंका है कि सरकार तीन राज्यों के 245 गांवों के 2.5 लाख लोगों की जिंदगियों को ताक पर रख फिर एक बार बांध की ऊंचाई बढ़ा देगी।
रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
'कुछ दिन तो गुजारो मध्य प्रदेश में'

'कुछ दिन तो गुजारो मध्य प्रदेश में'

इस समय देश में चारों ओर मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले को लेकर शोर है। कांग्रेस इसे लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है वहीं सरकार के आला नेता व्यापम को लेकर चुप हैं। मंगलवार को सोशल मीडिया पर भी #ShavrajYatra हैशटैग ट्रैंड करता रहा। इसे लेकर ट्वीट करने वालों ने तीखे कमेंटस् दिए।
व्यापम घोटाले में एक के बाद एक मौत से बेचैनी

व्यापम घोटाले में एक के बाद एक मौत से बेचैनी

भाजपा के नवनियुक्त महासचिव एवं मध्यप्रदेश के नगर प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में हुई मौत को कथित तौर पर मजाक में लेकर नया विवाद पैदा कर दिया है। कुछ दिन पहले भाजपा नेता बाबू लाल गौड़ के एक बेतुके बयान को लेकर काफी हंगामा हुआ।
जुबां पर किसान, निगाहें केंद्र पर

जुबां पर किसान, निगाहें केंद्र पर

मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?
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