राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज अपनी सभी सफलताओं का श्रेय अपनी मां को दिया और बचपन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि वह बेमिसाल शरारती लड़के थे जो अपनी मां को खूब परेशान करता था।
दहेज उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में बंबई हाईकोर्ट ने विवादस्पद सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां को अंतरिम जमानत दे दी है। उनकी गिरफ्तारी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो हफ्ते की रोक लगाई है। लेकिन उनके खिलाफ नए-नए आराेप सामने आने से उनकी मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं।
हाल ही में न्यूयॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग पर कला को बढ़ावा देने के लिए रोशनी से मां काली को चिन्हित किया गया। यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव संरक्षण के लिए की गई थी।
मेरे अंगने में रूढ़िवादी सास की भूमिका निभा रहीं कृतिका देसाई का रीयल लाइफ अवतार देखकर उनके प्रशंसक सकते में आ सकते हैं। बाली में छुट्टियां मना रही यह खड़ूस सास अपने मेकअप और गेटअप से इतनी परेशान हो गईं कि वहां बिलकुल अलहदा नजर आईं।
हाल के दिनों की कुछ घटनाओं का आधार मान लें तो हिंदू संतों की जिंदगी सवालों के घेरे में है। जो सेवा, त्याग, तपस्या का दम भरते थे, वे सिक्कों की खनखनाहट के फेर में पड़ने से लेकर संदिग्ध लोगों तक को पदवियां बांटने में जुटे हुए दिख रहे हैं। संतई एक भरा-पूरा कारोबार नजर आ रही है। नाम, पहचान, भगवान से लेकर पद-परंपरा तक, सब कुछ बिकने वाली चीजों में शुमार हो गए हैं। ऐसे हालात में आस्था और भरोसा कहीं कोने में दुबक कर सिसक रहे हैं। संतों का कारोबार लगातार तरक्की कर रहा है और जिंदगी की दुश्वारियों से परेशान लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में उनके शरणागत हो रहे हैं।
फिल्म स्टार ऋषि कपूर ने विवादों में घिरी राधे मां के बारे ट्वीट क्या किया उसके बाद तो सोशल मीडिया पर एक के बाद एक ट्वीट आने लगे। लोग राधे मां के विविध रूप को लेकर चुटकी ले रहे हैं। वहीं ऋषि कपूर ने लिखा कि राधे मां के फोटो पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि लिपिस्टक और गहने देखकर बिना चश्मे के मेरे मित्र बप्पी लहरी की याद आ गई।
यदि दफ्तर स्तनपान कराने वाली मांओं के लिहाज से सुविधाजनक कार्यस्थल में बदल जाए तो महिला कर्मचारियों की काम की रफ्तार तेज हो सकती है। एक अध्ययन कहता है कि पर्याप्त मातृत्व लाभ पाने वाली कामकाजी महिलाओं में दफ्तर में अधिक संतुष्टि देखी गई है। चूंकि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं, ऐसे में मांएं दफ्तर में कम अनुपस्थित रहती हैं।
बलात्कार पीड़ित नाबालिग मां के बच्चे के जन्म लेने के बाद परिवार, समाज या कानून से उसे ऐसी व्यवस्था नहीं मिल पाती, जिसमें बच्चा आवश्यक जरूरी सुविधाओं के साथ पल-बढ़ सके। बल्कि वह सबके लिए एक बोझ सरीखा बन जाता है। अहमदाबाद की बच्ची को कानून से थोड़ा छूट देते हुए 25 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत जरूर मिलनी चाहिए थी, और मिली भी। यहीं पर इस तरह के तमाम सवाल कानून के दायरे में रहकर जवाब मांगते हैं।
यूपी में पत्रकार जगेंद्र सिंह के बाद अब एक पत्रकार की मां को कथित तौर पर जिंदा जलाकर मार डालने का मामला सामने आया है। दो पुलिसवालों पर रेप की कोशिश और जिंदा जलाने का आरोप लगाने वाली इस महिला ने आज सुबह दम तोड़ दिया।