राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सोमवार को गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) में कथित ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले मे योगी अादित्यनाथ सरकार को नोटिस जारी किया है।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख विमल गुरुंग और उनकी पत्नी आशा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। जीजेएम नेताओं को अलग खोरखालैंड की मांग को लेकर चले आंदोलन के दौरान हुए संघर्ष और हिंसा में आरोपित किया गया है। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
आर्मी चीफ़ जनरल बिपिन रावत ने एक बार फिर कश्मीर में पत्थरबाजी की समस्या को लेकर बिगड़ते हालातपर कहा कि कश्मीरी नौजवानों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें लोगों की ज़िंदगी की परवाह है और ये सुनिश्चित किया जाएगा कि मानवाधिकार का उल्लंघन न हो। हम पत्थरबाज़ी की समस्या से जल्द निपटेंगे।
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था द्वारा भारत की चार साल में एक बार होने वाली समीक्षा आयोजित होने जा रही है। इससे पहले ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत से आह्वान करना चाहिए कि वह सरकार की आलोचना करने वाले गैर सरकारी संगठनों को निशाना बनाना बंद करे। इसके साथ ही एचआरडब्ल्यू ने अल्पसंख्यकों पर सतर्कता समिति सदस्यों के हमलों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समूहों के प्रमुख जैद राद अल-हुसैन ने इस बात पर हैरानी जतायी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूछताछ की प्रक्रिया के दौरान प्रताड़ना का समर्थन किया। जैद ने अमेरिका में प्रताड़ना की संभावना को पुनर्जीवित करने को पूरी तरह से निराशाजन बताया है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत में अफ्रीकी छात्रों पर हमले को लेकर अफ्रीकी देशों के राजदूतों के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद और आश्चर्यजनक करार देते हुए बुधवार को कहा कि भारत अफ्रीकी छात्रों समेत भारत में रहने वाले प्रत्येक देश के नागरिक की सुरक्षा को कृत संकल्पित हैं।
मानवाधिकार मामले में चीन और अमेरिका में एक तवा है तो दूसरा हांडी। इस मामले में दोनों ने एक दूसरे की कलई खोली है। अमेरिका के लांछन का जबाव देते हुए चीन ने अमेरिका से कहा है कि इस मामले में दूसरों की फूली निहारने की जगह वह अपनी फूटी देखे। अमेरिका प्रशासन अपनी वार्षिक रिपोर्ट में मानवाधिकार हनन के लिए चीन को पहले ही लताड़ लगा चुका है। अमेरिका ने चीन को दमनकारी करार दिया है।
किसी भी सभ्य समाज में बंधुआ मजदूरी एक कलंक है। भारत में लंबे समय से यह बुराई कायम रही है और इस खत्म करने के सरकारों के तमाम दावों के बावजूद कई जगह यह अब भी बदस्तूर जारी है।
‘भारत में वर्ष 2014 के बाद नाटकीय रूप से घृणा अपराधों, सामाजिक बहिष्कार और जबरन धर्मांतरण बढ़ गया है जिससे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों और दलितों को भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।’ अमेरिका की एक स्वतंत्र संस्था ने अपनी 22 पेजी रिपोर्ट में यह दावा किया है।