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उदय प्रकाश पर दोहरेपन के आरोपों की झड़ी

उदय प्रकाश पर दोहरेपन के आरोपों की झड़ी

हिंदी के नामचीन कथाकार उदय प्रकाश की हिंदुत्व वादी ताकतों द्वारा कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा सोशल मीडिया पर विवादों में आ गई है। अब उदय प्रकाश के भी गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार लिया था। शाम तक तो उदय प्रकाश की तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे थे लेकिन उसके बाद गड़े मुर्दे उखड़ गए। खबर लिखे जाने तक उदय प्रकाश के पक्ष में आवाजें नहीं आई थीं-
इंद्राणी मामला: मीडिया खुद से भी करे सवाल

इंद्राणी मामला: मीडिया खुद से भी करे सवाल

अपने पति और परिवार के साथ वह बेहद खुश थी. छोटा सा घर परिवार. कमाई अधिक नहीं लेकिन जरूरतें पूरी हो रही थीं। एक सम्मान के साथ वह अपने पति और बच्चे के साथ हंसी ख़ुशी से जीवन व्यतीत कर रही थी। इस साल बेटे के बोर्ड की परीक्षा होगी। इस को लेकर हर माँ की तरह वह भी चिंतित थी और महज एक सप्ताह पहले वह सोच रही थी कि वह ऐसा क्या करे जिस से उसका बेटा अच्छे से पढ़ सके और अच्छे नंबरों में पास हो।
मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

मिथक झुठलाते जनगणना के धार्मिक आंकड़े

पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।
शीना हत्‍याकांड: इंद्राणी और राहुल मुखर्जी से पूछताछ

शीना हत्‍याकांड: इंद्राणी और राहुल मुखर्जी से पूछताछ

मुंबई पुलिस ने शीना बोरा हत्याकांड से जुड़े पेचीदा केस की गुत्थी सुलझाने के लिए मीडिया दिग्गज पीटर मुखर्जी के बेटे राहुल मुखर्जी से पिछले 12 घंटों में दूसरी बार पूछताछ की है। राहुल और शीना के बीच प्रेम संबंधों की बात सामने आई है। यह बात भी अब तकरीबन साफ हो गई है कि शीना बोरा इंंद्राणी की बहन नहीं बल्कि बेटी थी। पुलिस इस मामले में राहुल और शीना के प्रेम संबंधों के अलावा प्रॉपर्टी विवाद का कोण भी तलाश रही है। कहा जा रहा है कि शीना इंद्राणी से प्रॉपर्टी में हिस्‍सेदारी मांग रही थी, जिसके चलते दोनों में अनबन हुई।
‘जिन्हें प्याज खाना है वे पाकिस्तान चले जाएं’

‘जिन्हें प्याज खाना है वे पाकिस्तान चले जाएं’

प्याज रुला ही रहा था कि सोमवार को रही कसर धड़ाम से गिरे सेंसेक्स ने पूरी कर दी। खुलते ही बाजार औंधे मुंह गिरा। तेज गिरावट के साथ खुले घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट साथ बंद हुए। सेंसेक्स इतिहास में तीसरी सबसे बड़ी गिरावट। सोमवार को दोनों मुद्दे सोशल मीडिया पर छाए रहे। पेश हैं उनमें से कुछ कमेंट्स और कार्टून-
मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को  लिखा पत्र

मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को लिखा पत्र

केंद्र सरकार ने सर्कुलर निकाल कर जिस तरह से पत्रकारों को सरकारी अधिकारियों से सीधे मिलने में रोक लगाई है, उस पर प्रेस परिषद से बकायदा पत्र लिख, अपनी चिंता का इजहार किया है
फेसबुक की रांग साइड ड्राइविंग- दिलीप मंडल

फेसबुक की रांग साइड ड्राइविंग- दिलीप मंडल

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने फेसबुक एकाउंट बंद किए जाने को लेकर अपना विरोध कुछ इस तरह से दर्ज कराया है। पढ़े दिलीप मंडल का पत्र जो उन्होने फेसबुक के लिए लिखा है। उनसे कोई शिकायत नहीं है, जो मेरे नाम की नक़ली प्रोफ़ाइल बनाकर उसपर कुछ कुछ लिख रहे हैं। यह सब शरीर से बड़े हो चुके कुछ बच्चों का खेल है। डायपर पहनकर जो विरोध और विमर्श का तमाशा कर रहे हैं, उन बेचारों पर तो नाराज़ हो पाना भी मुश्किल है। उनकी भाषा उनका परिचय है, उनके हिसाब से उनका "संस्कार" है। प्लीज़, उन्हें माफ़ कर दीजिए।
पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।
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