वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा पेश वार्षिक बजट को भविष्योन्मुखी बताते हुए उद्योग संगठनों का कहना है कि यह पिछले तीन सालों में किए गए आर्थिक सुधारों पर आधारित बजट है।
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन.चन्द्रबाबू नायडू और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित कई नेताओं ने केन्द्रीय बजट को मिलाजुला बताते हुए कहा कि यह लोकलुभावन नहीं है हालांकि इससे विकास की संभावनाएं खुलेंगी।
स्वराज इंडिया ने दावा किया कि देश में नोटबंदी से प्रभावित किसानों को कोई राहत नहीं देने सहित केन्द्रीय बजट में महत्वपूर्ण कृषि मुद्दों पर घोषणाओं के अभाव के चलते सरकार की उदासीनता और हेकड़ी भलकती है।
केंद्रीय बजट में विदेश मंत्रालय को 14,798 करोड़ रूपया दिया गया जो पिछले साल की तुलना में महज 135 करोड़ रूपये का इजाफा है। वहीं, अफगानिस्तान में परियोजनाओं के लिए भारी कटौती करते हुए बजटीय आवंटन 520 करोड़ रूपया से घटाकर 350 करोड़ रूपया कर दिया गया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इस बजट में कोई स्पष्ट दृष्टि नहीं है और किसानों, युवाओं एवं नौकरियां पैदा करने के बारे में कुछ नहीं है।
इस साल का बजट रियल एस्टेट सेक्टर के लिए संतुलित बजट है। क्रेडाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष अमित मोदी ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि इस साल का बजट एक संतुलित दृष्टिकोण के साथ पेश किया गया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर को 3.96 लाख करोड़ रु का आवंटन निश्चित रूप से क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा और देश में नौकरियों के अवसर पैदा करेगा।
केंद्रीय बजट में कृषि एवं किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान करने का उल्लेख करते हुए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि इस बार के बजट से यह बात एक बार फिर स्पष्ट हो गयी कि मोदी सरकार गांव, गरीब और किसानों के लिए काम कर रही है और कृषि विकास दर बढ़कर 4.1 प्रतिशत होने का अनुमान और पांच वर्षों में किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राजनीतिक दलों पर बेनामी नकद चंदे की सीमा 20,000 रुपये से घटा कर 2,000 तक सीमित करने के बाद सरकार ऐसा कानूनी संशोधन करने जा रही है जिसके तहत उन्हें हर साल दिसंबर तक आय का विवरण विभाग में दाखिल करना जरूरी होगा। ऐसा नहीं करने उन्हें मिली कर छूट खत्म हो जाएगी।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद के निधन के बाद भी केंद्रीय बजट पेश किये जाने के सरकार के रुख की आलोचना की और आरोप लगाया कि इस खबर को जारी करने में देरी की गयी ताकि बिना किसी अवरोध के बजट पेश किया जा सके।