बैंक खातों पर रोक और रजिस्ट्रेशन निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट ने ग्रीनपीस इंडिया की याचिका मंजूर कर ली है। इस मामले में हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और कई बैंकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई के पासपोर्ट से आधिकारिक तौर पर ऑफलोड मुहर को हटा ली गई है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो द्वारा जारी विवादास्पद ‘लूक आउट सर्कुलर’की कार्रवाई के बाद पिछले चार महीनों से जारी घटनाक्रम पर विराम लग गया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच अधिकारों को लेकर छिड़ी जंग के बीच गृह मंत्रालय ने यह साफ किया है जो भी काम होगा संविधान के मुताबिक होगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश और संविधान में जो अधिकार मिला हुआ है उसी के अनुरुप काम करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम कहां है इसको लेकर सरकार ने संसद में अजीबोगरीब बयान दे डाला। मंगलवार को संसद में एक सांसद द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार की ओर से कहा कि इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि दाऊद कहां है।
बंद होने की चुनौती से जुझ रही ग्रीनपीस इंडिया के पास अपने अस्तित्व को बचाने के लिये सिर्फ एक महीना है। संस्था के पास अपने कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के लिये सिर्फ महीने भर का पैसा बचा है। गृह मंत्रालय की कार्रवाई को ‘चुपके से गला घोंटने’ जैसा बताते हुए ग्रीनपीस इंडिया ने मंत्रालय को चुनौती दी है कि वो मनमाने तरीके से दंड लगाना बंद करे और इस बात को स्वीकार करे कि वो ग्रीनपीस इंडिया को उसके सफल आंदोलनों की वजह से बंद करना चाह रहा है।
भारत सरकार का कहना है कि पत्नी से बलात्कार की अवधारणा भारत में लागू नहीं हो सकती। क्योंकि यहां विवाह को संस्कार माना जाता है। इस तर्क के आधार पर सरकार ने वैवाहिक संबंधों में होने वाले बलात्कार को कानूनन अपराध बनाने से इंकार कर दिया है।
गृह मंत्रालय द्वारा फिर से विदेशी फंड रोक लगाने को फैसले को ग्रीनपीस कोर्ट में चुनौती देेगा। ग्रीनपीस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में ग्रीनपीस इंटरनेशनल की तरफ से ग्रीनपीस इंडिया को भेजी गई 1,48,608 यूरो की राशि के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सम्मेलन में सरकारी रवैये से असंतोष। देश भर में अल्पसंख्यकों के हक-हकूक की जमीन तेजी से छीजती जा रही है। उनके खिलाफ जितने भी संगठित हमले, नरसंहार हुए, उसमें से इक्का-दुक्का को छोड़ कर शायद ही किसी में अदालत से न्याय मिला हो।