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Search Result : "मैं गुमशुदा"

पीएम या पार्टी ने जब अच्छी या बुरी चीजें की तो मैं बोलाः शत्रुघ्न

पीएम या पार्टी ने जब अच्छी या बुरी चीजें की तो मैं बोलाः शत्रुघ्न

लंबे समय से भाजपा के गले की हड्डी बने पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने दावा किया है कि वह अगर निर्दलीय के तौर पर भी चुनाव लड़ते हैं तो वह जीत सकते हैं। उन्होंने यह भी माना कि उन्हें लंबे समय से अन्य पार्टियों से प्रस्ताव मिलते रहे हैं।
एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

स्त्री अस्मिता को लेकर भारत में शुरू हुए स्त्रीवादी आंदोलनों और महिला अधिकारों की बहसों की शुरुआत के बाद से स्त्रीवादी कविता में उसके सरोकारों की भी बात होने लगी। हालांकि, उसके पहले भी स्त्रीवादी कविताएं लिखी जाती थीं, लेकिन तब उसमें स्त्री अधिकारों और सरोकारों की बातें कम होती थीं, स्त्री सौंदर्य और स्त्री प्रेम की बातें ज्यादा होती थीं।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
मैं रहूं न रहूं, भारत अतुल्य बना रहेगा: आमिर

मैं रहूं न रहूं, भारत अतुल्य बना रहेगा: आमिर

अतुल्य भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर की जिम्मेदारी से हटाए गए आमिर खान ने कहा है कि वह सरकार के फैसले का सम्मान करते हैं। एक बयान जारी कर उन्होंने कहा, अतुल्य भारत अभियान से जुड़ना मेरे लिए खुशी और सम्मान की बात है, मैं ब्रॉड एबेंसेडर रहूं या ना रहूं, भारत अतुल्य रहेगा। इस बीच अतुल्य भारत अभियान के लिए मंत्रालय ने नए चेहरे की तलाश शुरू कर दी है। इस अभियान के लिए मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन सरकार की पहली पसंद बताए जा रहे हैं।
' क्योंकि मैं चांदी का चम्मच मुंह में लिए पैदा नहीं हुआ था '

' क्योंकि मैं चांदी का चम्मच मुंह में लिए पैदा नहीं हुआ था '

कीड़े-मकौड़ों की तस्वीरें खींचने का उसे ऐसा जुनून था कि वह इसके लिए घरवालों से चोरी जंगलों में मारा-मारा फिरने लगा। हर मध्यम वर्गीय परिवार के मुखिया की तरह उसके पिता का सपना था कि वह पढ़ाई कर एक अदद सी सरकारी नौकरी पा ले या घर की खेती संभाले लेकिन सपनों के पंख उसे जंगलों में जानवरों, पेड़ों, पानी और कीड़ों की दुनिया में ले जाते। जो चांदी का चम्मच मुंह में लिए पैदा नहीं होते उनका संघर्ष कई गुना होता है, शायद इसीलिए उसने जानवरों और जंगलों की तस्वीरों को ही ओढ़ना, पढ़ना, खाना और जीना शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि बिना फोटोग्राफी की कोई तालीम लिए इस 25 वर्षीय युवा वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर सतपाल सिंह की गिनती दुनिया के बेहतरीन वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों में होने लगी। इस वर्ष का नेचर बेस्ट फोटोग्राफर एशिया अवॉर्ड सतपाल सिंह की एक तस्वीर को मिला है। इसी महीने 9 तारीख को इन्हें अमेरिका में सम्मानित किया जाएगा। (वह तस्वीर जिसे अवॉर्ड मिला है।)
पार्टी जीती तो मैं सरकार चलाऊंगीः सू की

पार्टी जीती तो मैं सरकार चलाऊंगीः सू की

म्यांमार का राष्ट्रपति बनने से रोक लगने के बावजूद म्यांमार में लोकतंत्र की नायिका आंग सान सू की ने आज कहा कि अगर रविवार को हुए चुनाव में उनकी पार्टी जीतती है तो वह सरकार चलाएंगी। इस देश में पूर्व में सैन्य शासन था।
तू-तू, मैं-मैंः  मोदी ने भी बताया नीतीश के पैकेज को धोखा

तू-तू, मैं-मैंः मोदी ने भी बताया नीतीश के पैकेज को धोखा

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पैकेज को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को सवा लाख करोड़ का जो पैकेज घोषित किया उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2.7 लाख करोड़ रूपये का पैकेज घोषित कर दिया। अब पैकेज को लेकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाना साध रहे हैं।
हिंदी साहित्य के इंजीनियर

हिंदी साहित्य के इंजीनियर

गणित के कठिन सवालों के बीच गोदान का होरी भी जिंदगी के जवाब खोजता है। रसायन के सूत्र भले भूल जाएं मगर चंदर का सुधा भूल जाना अखरता है। प्रकाश के परावर्तन का नीरस सिद्धांत सुनील के केस को सुलझाते ही सरस लगने लगता है। ब्लैक बोर्ड पर अल्फा, बीटा, गामा के बीच निर्मला, चोखेरबाली और राग दरबारी भी धमाचौकड़ी मचाते हैं। अमूमन घरों में होशियार बच्चे विज्ञान पढ़ते हैं। विज्ञान में भी लड़के गणित और लड़कियां जीव विज्ञान पढ़ती हैं। जब कोर्स की किताबें ही साल में खत्म करना मुश्किल हो तो कहानी-कविताएं, उपन्यास पढ़ने के लिए किसके पास वक्त है। गणित लेने के बाद अर्जुन की आंख की तरह बस एक ही लक्ष्य है, आईआईटी। विज्ञान पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कम कुछ भी गवारा नहीं है। मोटी-मोटी किताबों, सुबह से शाम तक चलने वाली कोचिंग क्लासों के बीच इंजीनियर बनने का सपना पलता है। ऐसे में साहित्य की कौन सोचे। पढ़ाई के दौरान साहित्य पढऩा समय की बर्बादी है और लिखना... इसके बारे में तो सोचना भी मत।
यादों के आइने में अमृतलाल नागर

यादों के आइने में अमृतलाल नागर

पिछले दिनों प्रसिद्ध साहित्यकार और नाच्यो मैं बहुत गोपाल, सुहाग के नुपूर जैसी कालजयी कृतियां लिखने वाले अमृतलाल नागर की 99 वीं बरसी पर बालेंदु शेखर मंगल मूर्त्ति ने उनके साथ बिताए पलों को साझा किया।
दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
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