ये आंकड़ा हर किसी को पता है कि इस देश में 1995 से अब तक साढ़े तीन लाख किसानों-खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। दैनिक औसत निकालें तो 50 लोग हर रोज जान दे रहे हैं। 20 साल में देश की सत्ता और सिस्टम इन मौतों के जिम्मेदारों की शिनाख्त नहीं कर पा रही है। चूंकि, शिनाख्त नहीं हुई इसलिए आगे की कार्रवाई की भी जरूरत नहीं। एक खेल चल रहा है जिसमें राजनीतिक दल एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं। उनका ध्यान समस्या ओर उसके समाधान पर नहीं है, बल्कि खुद को दूसरों से उजला, ईमानदार और संवेदनशील दिखाने पर है। ऐसे में कोई गजेंद्र मरे तो मरता रहे, उनकी बला से।
नई दिल्ली। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार झेल रहे किसानों पर इस साल दोहरी मार पड़ने जा रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्य से 7 फीसदी कम रहेगा। मानसून पर अल नीनो का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते बारिश का इंतजार लंबा खिंच सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में सामान्य से 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। गौरतलब है कि भारत में 70 फीसदी बारिश मानसून सीजन के दौरान पड़ती है।
महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग उद्योगों और उनके खतरनाक अपशिष्ट के निपटान की जल्द ही ऑनलाइन निगरानी शुरू करेगा जिसके आधार पर इन इकाइयों के लाइसेंस के नवीकरण का निर्णय लिया जाएगा।
सरकार ने उन व्यक्तिगत और संस्थागत करदाताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है जो आयकर विभाग का करोड़ों रुपया दबाकर बैठे हैं। पहले दौर में ऐसे 18 नाम सार्वजनिक किए गए हैं। आयकर विभाग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के निर्देश पर इन बकायेदारों के नाम का खुलासा किया है ताकि इनसे वसूली में मदद मिल सके।
जम्मू के कुछ हिस्सों और घाटी के कई स्थानों में मूसलाधार वर्षा के कारण भूस्खलन से मारे गए छह अन्य लोगों के शव मंगलवार को बरामद किए गए और इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में वर्षा और बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या बढकर 16 हो गई है।
मौसम के बदलाव पर नजर रख उसके अनुरूप खान-पान बदल लिया जाए तो कई परेशानियों से बचा जा सकता है। यह मौसम सर्दी-जुकाम, गला खराब होने का मुफीद मौसम है। गर्मी का अहसास होते ही ठंडी चीजों पर टूट पड़ने के बजाय जरा धैर्य से काम लें।