केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने से दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। हालांकि, भाजपा समर्थित बीएमएस और एनएफआईटीयू ने इस हड़ताल से दूरी बना ली है।
किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में किसान संगठन लामबंद होने लगे हैं।
चौ. टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्यक्ति सिर्फ किसान था। चौ. टिकैत जनता के बीच से आए थे और अाखिरी दम तक जनता के बीच रहे। यही सादगी और खरापन उनकी पहचान बन गया। उनकी मृत्यु के बाद किसान आन्दोलन में पैदा खालीपन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।
केंद्र की मोदी सरकार अगर कारोबार को बढ़ावा देने के नाम पर श्रम कानूनों में बदलाव के अपने एजेंडे पर अड़ी रहती है तो देश की मजदूर यूनियनें इसके खिलाफ हड़ताल पर जाने से नहीं हिचकेंगी। इसमें भाजपा से जुड़ी श्रमिक यूनियनें भी शामिल होंगी। इस बारे में कोई भी फैसला 26 मई को लिए जाने की उम्मीद है।
केरल के मौजूदा राज्यपाल पी. सदाशिवम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की सुगबुगाहट जैसे ही तेज हुई, वैसे ही मानवाधिकार संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संभवतः यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल को इस पद के लिए चुना जा रहा है।
गेंहू की धीमी खरीद और केंद्र सरकार द्वारा मूल्य में कटौती के खिलाफ पंजाब के मानसा, बरनाला और अमृतसर जिलों में रेल पटरियों पर बैठे भारती किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्यों का प्रदर्शन आज भी जारी रहा। इस वजह से पंजाब में आज लगातार दूसरे दिन रेल यातायात ठप्प रहा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। वह देखना चाहते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति पर हाल की बेमौसम बारिश का क्या असर रहता है। साथ ही वह यह भी चाहते हैं कि रेपो दर में पिछली कटौतियों का फायदा बैंक उपभोक्ताओं को दें।
पाकिस्तान की परेशानियों को और बढ़ाते हुए यूरोपीय यूनियन ने इस बात पर चिंता जताई है कि पाकिस्तान उसके द्वारा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर दिए जा रहे पैसे का दुरुपयोग कर रहा है कि और यह पैसा उल्टा आतंकी समूहों के हाथ में ही पहुंच रहा है।
जंतर-मंतर पर भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर अन्ना आंदोलन जारी था और इधर दिल्ली के कॉन्सटीट्यूटशन क्लब में किसानों के हकों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की इसी मुद्दे पर अलग से प्रैसवार्ता चल रही थी। अन्ना आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना था कि उनके साथ देशभर के सभी किसान संगठन हैं जबकि किसानों का महत्वपूर्ण संगठन बीकेयू इसी मुद्दे पर अन्ना से अलग रहा।