Advertisement

Search Result : "रमेश जोशी"

नए तेवर की जरूरत है: जयराम रमेश

नए तेवर की जरूरत है: जयराम रमेश

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छुट्टी पर भेजा गया और ठीक उसी समय भू-अधिग्रहण के खिलाफ कांग्रेस जंतर-मंतर पर उतरी, उससे लगता है कि पार्टी में बड़े रद्दो-बदल की तैयारी है। कांग्रेस में सांगठनिक चुनाव सितंबर में होने है लेकिन उसकी तैयारी पहले से दिखाई दे रही है। संसद के भीतर लंबे समय बाद कांग्रेस सांसद सक्रिय नजर आ रहे है। एक तरफ राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं, वहीं पूर्व मंत्री और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले जयराम रमेश के इस मुद्दे पर पगड़ी पहनाई गई।
जमीन अधिग्रहण पर आज से हंगामा

जमीन अधिग्रहण पर आज से हंगामा

जमीन अधिग्रहण को लेकर सोमवार से दिल्ली में हंगामा शुरु करने की पूरी तैयारी है। सड़क से लेकर संसद तक हंगामे के आसार हैं। एक तरफ प्रसिद्ध समाजसेवी अण्णा हजारे दिल्ली में धरना दे रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है।
बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

राष्‍ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्‍ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।
Advertisement
Advertisement
Advertisement