भारत के राजनीतिक भविष्य का एजेंडा कॉरपोरेट घराने तय कर रहे हैं। इस कारण प्रबंधन कंपनियों या यूं कहें कि कई प्रबंधन गुरुओं की पौ-बारह हो गई है और राजनीतिक दल उनके सामने नतमस्तक दिख रहे हैं।
मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड से अधिक सुंदर पर्वतीय क्षेत्र, विविधता की संस्कृति, भोली भाली संघर्षशील जनता संपूर्ण विश्व में अदभु,त है। स्विट्जरलैंड से कई गुना बेहतर हिम शृंखला हिमालय में है। आजादी के बाद इस क्षेत्र को आवश्यकता और आकांक्षाओं के अनुरूप आर्थिक प्रगति के लाभ नहीं मिले। उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहने पर उत्तराखंड के लोगों को रोजगार सहित विभिन्न सुख-सुविधाओं की कमी खलती रही। इसीलिए बड़े संघर्ष के बाद उत्तराखंड को छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ अलग राज्य का दर्जा मिला।
संसद के कल से शुरू हो रहे बजट सत्र के काफी हंगामेदार रहने के संकेत हैं। सत्र शुरू होने से पहले आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सरकार पर व्यवधान का एजेंडा तय करने का आरोप लगाया जबकि सरकार ने कहा कि वह जेएनयू समेत सभी मुद्दों पर सदन में चर्चा कराने को तैयार है। हालांकि बैठक के बाद उसे सकारात्मक बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सभी दल इस पक्ष में थे कि संसद में कामकाज होना चाहिए।
जेएनयू विवाद को लेकर आज आरोप-प्रत्यारोप का दौर उस वक्त तेज हो गया जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रविरोधियों का समर्थन कर रहे हैं और भारत का एक और बंटवारा चाहते हैं। वहीं राहुल ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा बांटने और नफरत फैलाने के एजेंडा पर अमल कर रही है।
अरुणाचल प्रदेश में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस के बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर एक होटल में विधानसभा का सत्र बुलाया और मुख्यमंत्री नबाम तुकी को हटकार एक बागी विधायक को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। हालांकि, गोहाटी उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए इस बैठक में लिए गए सभी फैसलों पर रोक लगा दी जिसमें विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का निर्णय भी शामिल है।
बिहार में चुनावों की तैयारी में जुटे विभिन्न दलों और उम्मीदवारों ने अपने-अपने एजेंडे को जनता के सामने रखने की कवायद शुरू की। भोजपुर के बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में मुद्दों, जाति और विकास पर हो रही बातचीत
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हिंदुत्व एजेंडे को लागू करने के मुद्दे पर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में स्वामी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इतने महत्वपूर्ण विषय पर चार महीने बाद भी कोई जवाब नहीं दिया है।