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प्रो. कलबुर्गी हत्या: उदय प्रकाश ने लौटाया अकादमी पुरस्कार

प्रो. कलबुर्गी हत्या: उदय प्रकाश ने लौटाया अकादमी पुरस्कार

हिंदी के नामचीन कथाकार उदय प्रकाश ने हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। उन्होंने शुक्रवार की सुबह अपने फेसबुक वॉल पर इस संबंध में लिखा था। यह पुरस्कार उन्हें मोहनदास कृति पर वर्ष 2010-11 में मिला था।
मुलायम को मनाने में जुटे लालू, नीतीश को सुलह की आस

मुलायम को मनाने में जुटे लालू, नीतीश को सुलह की आस

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को मनाने के लिए आज दिल्ली रवाना हुए हैं। सपा ने कल बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बने भाजपा विरोधी महागठबंधन से नाता तोड़कर अकेल चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
कांटों के बीच अपनों की चिंता

कांटों के बीच अपनों की चिंता

मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
राष्ट्रीय संग्रहालय में प्राचीन नक्शों की प्रदर्शनी

राष्ट्रीय संग्रहालय में प्राचीन नक्शों की प्रदर्शनी

राजधानी में शुरू हुई प्राचीन नक्शों की एक अनोखी प्रदर्शनी पृथ्वी के सही भौतिक चित्रण के लिए सदियों से अनवरत जारी मानव की अथक कोशिश को उजागर करेगी। यह प्रदर्शनी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रयोगात्मक ब्रह्माण्डीय निरूपण से लेकर भौगोलिक चित्रण की विकास यात्रा को भी रेखांकित करेगी।
देश को संघ और मोदी से बचाने आया हूं-राहुल गांधी

देश को संघ और मोदी से बचाने आया हूं-राहुल गांधी

मोदी सरकार पर तीखे हमले जारी रखते हुए कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, जब आपके विचार सरकार से टकराएंगे तो आपके माइक बंद हो जाएंगे। वह देश को संघ और मोदी से बचाने आए हैं। राहुल ने संघ पर शैक्षिक संस्‍थाओं पर कब्‍जा जमाने का भी आरोप लगाया है।
आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।
झाबुआ डायरीः आरएसएस, शीतला माता और व्यापमं की मकई

झाबुआ डायरीः आरएसएस, शीतला माता और व्यापमं की मकई

मध्य प्रदेश के झाबुआ इलाके में तेजी से तस्वीर बदल रही है। राष्ट्रय स्वयंसेवक संघ का प्रचार-प्रसार जोरों पर है। इस आदिवासी बहुल इलाके का सांस्कृतिक परिदृश्य बदल रहा है। व्यापमं की मौत की छाया कड़कनाथ मुर्गे की कड़क तासीर पर भी भारी है। आदिवासी शिक्षित नौजवानों का हो रहा पयालयन।
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