दूध-खोए की बनी मिठाइयां सत्ता हठ के चलते सरहदों की मोहताज हो सकती हैं लेकिन रिश्तों की मिठास किसी लकीर और सरहद की मोहताज नहीं। राजनयिक संबंधों में तनातनी के चलते इस दफा बेशक सरहद पर दोनों देशों ने एक-दूसरे को मिठाइयां नहीं दीं लेकिन इस पार और उस पार के लोगों ने इस रवायत को कायम रखते हुए बता दिया कि दिलों के रिश्ते सरहदी कांटेदार तारों से नहीं काटे जा सकते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
राजधानी में शुरू हुई प्राचीन नक्शों की एक अनोखी प्रदर्शनी पृथ्वी के सही भौतिक चित्रण के लिए सदियों से अनवरत जारी मानव की अथक कोशिश को उजागर करेगी। यह प्रदर्शनी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रयोगात्मक ब्रह्माण्डीय निरूपण से लेकर भौगोलिक चित्रण की विकास यात्रा को भी रेखांकित करेगी।
स्वतंत्रता की 68वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों का हार्दिक अभिनंदन किया है। राष्ट्र के नाम संदेश में उन्होंने संसद में होने वाले हंगामे पर विशेष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद परिचर्चा के बजाय टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। समय आ गया है कि जब जनता तथा राजनैतिक दल गंभीर चिंतन करें।
मोदी सरकार पर तीखे हमले जारी रखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, जब आपके विचार सरकार से टकराएंगे तो आपके माइक बंद हो जाएंगे। वह देश को संघ और मोदी से बचाने आए हैं। राहुल ने संघ पर शैक्षिक संस्थाओं पर कब्जा जमाने का भी आरोप लगाया है।
राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।