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न्यूयॉर्क में कहीं भी करें पेशाब,अब पुलिस नहीं पकड़ेगी

न्यूयॉर्क में कहीं भी करें पेशाब,अब पुलिस नहीं पकड़ेगी

न्यूयॉर्क पुलिस अब खुले में पेशाब करने वालों तथा मदिरापान करने वालों पर ढिलाई बरतने के मूड में है। दरअसल सिटी पुलिस अब अपराधों पर ज्यादा फोकस करना चाहती है क्योंकि साल 2015 में हत्या, गैंगवार शूटिंग, बलात्कार और डकैती जैसे मामले बढ़े हैं।
एसपी ने अपनी जांच में मुरथल में बलात्कार की घटना से इनकार किया

एसपी ने अपनी जांच में मुरथल में बलात्कार की घटना से इनकार किया

हरियाणा के मुरथल में जाट आंदोलन के दौरान महिलाओं से बलात्कार के आरोपों के बीच सोनीपत के पुलिस अधीक्षक अभिषेक गर्ग ने फिर से दावा किया है कि बलात्कार जैसी कोई घटना नहीं हुई।
मुरथल बलात्कार कांड: पुलिस का हेल्पलाइन नंबर इंदौर के व्यक्ति का

मुरथल बलात्कार कांड: पुलिस का हेल्पलाइन नंबर इंदौर के व्यक्ति का

मुरथल में कुछ महिलाओं के साथ कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को तीन अधिकारियों के जो नंबर जारी किए उनमें से एक नंबर इंदौर के एक व्यक्ति का था। हरियाणा पुलिस के नंबर जारी करते ही उस व्यक्ति को इस संबंध में शुक्रवार से लगातार फोन आ रहे हैं।
जाट आंदोलन: महिला पुलिस दल करेगा मुरथल कांड की जांच

जाट आंदोलन: महिला पुलिस दल करेगा मुरथल कांड की जांच

जाट आंदोलन के दौरान हरियाणा के मुरथल में महिलाओं के साथ कथित बलात्कार मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय महिला पुलिस अधिकारियों के एक दल का गठन किया गया है। शनीवार को इस जांच दल ने कथित घटनास्थल वाले स्थान का दौरा किया।
हरियाणाः महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की खबरें, पुलिस का इनकार

हरियाणाः महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की खबरें, पुलिस का इनकार

जब जाट आंदोलन से पूरा हरियाणा जल रहा था इसी दौरान सोमवार 22 फरवरी को सुबह मुरथल के पास नेशनल हाईवे-1 पर कुछ यात्रियों की कारों को रोका गया। आरोप है कि कार में बैठी महिलाओं को बाहर खींच कर सामूहिक बलात्कार किया गया। दैनिक ट्रिब्यून अखबार में छपी खबर के अनुसार कारों में से 10 महिलाओं को खींचकर खेतों में ले जाया गया। उनसे बलात्कार कर उन्हें खेतों में छोड़ दिया गया। अखबार के अनुसार ‘सम्मान की खातिर’ अब इनके परिवार वालों को चुप रहने के लिए कहा जा रहा है। पुलिस बलात्कार की घटना को केवल अफवाह बता रही है।
जाट आंदोलनः खट्टर को प्रदर्शनकारियों ने काले  झंडे दिखाए

जाट आंदोलनः खट्टर को प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाए

मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हिंसा पीड़ितों से मिलने पहुंचे तो उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लोगों ने सीएम मुर्दाबाद और वापस जाओ के नारे लगाए। उन्हें काले झंडे भी दिखाए। हालात इतने खराब हो गए की खट्टर को बिना भाषण दिए ही लौटना पड़ा। गौरतलब है कि हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर बीते 9 दिनों से जाट समुदाय आंदोलन पर हैं।
जाट बहुल इलाकों में तनाव जारी, खट्टर से बदसलूकी

जाट बहुल इलाकों में तनाव जारी, खट्टर से बदसलूकी

हरियाणा के हिसार, हांसी और भिवानी शहरों में आज भी कर्फ्यू लगा हुआ है जबकि जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित रोहतक जिले में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रोहतक का दौरा किया जहां हिंसक स्थिति को रोकने में पुलिस की विफलता के विरोध में गुस्साए लोगों ने उनका घेराव किया।
सरकारों को झुकाने के बाद अब शांत हो रहा है हरियाणा

सरकारों को झुकाने के बाद अब शांत हो रहा है हरियाणा

हरियाणा में जाट समुदाय की आरक्षण की मांग की समीक्षा के लिए केंद्रीय मंत्री के अधीन एक समिति गठित करने की भाजपा की घोषणा के बाद आंदोलनकारियों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में नाकेबंदी हटानी शुरू कर दी है और हिंसाग्रस्त राज्य में जनजीवन आज फिर से सामान्य होता नजर आया। कई दिनों तक जनजीवन अस्त-व्यस्त रहने के बाद कैथल समेत कुछ शहरों में हालात सामान्य हो रहे हैं और अधिकारियों ने अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी स्थिति में आज उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद व्यक्त की है। अधिकारियों ने कैथल और इसके निकटवर्ती कस्बे कलायत से कल कर्फ्यू हटा लिया।
जाट आंदोलन: हरियाणा में जारी रही हिंसा, मृतकों की संख्या हुई 16

जाट आंदोलन: हरियाणा में जारी रही हिंसा, मृतकों की संख्या हुई 16

हरियाणा में आरक्षण के लिए आंदोलनरत जाटों ने आज भी कई जगहों पर हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया। भीड़ ने ताजा घटनाक्रम में सुरक्षाकर्मियों पर पथराव करने के साथ ही कई सरकारी वाहनों में आग लगा दी। आंदोलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 16 तक पहुंच गई है।
चर्चा : अपने हाथ क्यों जलाएं ?। आलोक मेहता

चर्चा : अपने हाथ क्यों जलाएं ?। आलोक मेहता

विरोध, प्रदर्शन, आंदोलन, लोकतंत्र में अनुचित नहीं माने जाते। लेकिन अपने खेत-खलिहान-घर-आंगन को सुरक्षित रखने के साथ मासूम बच्चों के स्कूलों, बीमार और घायलों का उपचार करने वाले अस्पतालों, गांव से कस्बों तक पहंुचाने वाली बसों अथवा जानमाल की सुरक्षा के लिए बनाए गए थानों को आग लगाने के बजाय सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी तो समाज की है।