बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि सरकार इस मामले में सच्चाई सामने लाने के सभी जरूरी कदम उठाएगी।
बिहार के बक्सर रेलवे स्टेशन से कुछ पहले ट्रेन नंबर 63240 डीएमयू सवारी गाड़ी में शुक्रवार की रात सशस्त्र अपराधियों ने एक जीआरपी जवान की गोली मारकर हत्या कर दी तथा एक अन्य जवान को घायल कर दो इंसास राइफल लुट लीं और फरार हो गए। रेल पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र मिश्रा ने बताया कि मृतक जीआरपी जवान का नाम अभिषेक सिंह है जो कि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश के नराही के निवासी थे।
भारत पत्रकारों पर हमले के मामले में विश्व में 13वें नंबर पर है और भारत में उत्तर प्रदेश इस मामले में पहले नंबर एक पर। हाल ही में झारखंड में पत्रकार अखिलेश प्रताप सिंह और उसके बाद बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या ने देश में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
बिहार के गया में जदयू की महिला पार्षद के पुत्र द्वारा एक युवक को कथित रूप से गोली मारने की घटना की गूंज आज लोकसभा में सुनाई दी। बिहार के कुछ सांसदों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब होने का उल्लेख करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के लोगों को राहत पहुंचाने के मकसद से केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई जल ट्रेन खाली निकली है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ने केंद्र के भेजे पानी के टैंकरों को स्वीकारने से मना कर दिया था।
संघर्ष सत्ता और सामाजिक व्यस्था में शिखर पर जगह बनाने को लेकर होता रहा है। लेकिन इसके उलट गांधी और मार्क्स दोनों निचले धरातल को ऊपर उठाकर पूरे समाज के उन्नयन की वकालत करते हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
विपक्ष ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय मुद्दों के बारे में कथित तौर पर गलतबयानी और संसद को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस की मांग दोनों सदनों में उठाई जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने मांग की कि स्मृति को गलत बयान देने के लिए सदन से माफी मांगनी चाहिए।