पिछले कुछ दिनों से विवादों के केंद्र में रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद पर व्याख्यानों की महीने भर चली श्रृंखला के समाप्त होने के बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अब आजादी पर प्रस्तुति का सिलसिला शुरू करने का फैसला किया है।
अमेरिका के एक शीर्ष विश्वविद्यालय ने संकाय सदस्यों और छात्रों द्वारा अनुदानकर्ताओं पर चरमपंथी विचारधारा का होने और दक्षिण चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित होने का आरोप लगाए जाने के बाद हिन्दू और भारत अध्ययन केन्द्र बनाने के लिए मिली 30 लाख डॉलर की अनुदान राशि वापस कर दी है।
केंद्रीय जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के लिए देश भर के छात्र संगठन लामबंद हो गए हैं। आज वामपंथी दलों के छात्र संगठनों के अलावा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई, कांग्रेस का छात्रसंगठन), जदयू, आरजेडी और स्टूडेंट्स फ्रंट फॉर स्वराज जैसे छात्र संगठन एक मंच पर आए। इनके नेताओं ने ऐलान किया कि कन्हैया को बिना शर्त रिहा किया जाए अन्यथा सरकार देशव्यापी छात्र आंदोलन के लिए तैयार रहे।
भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने खुद को गांधी जी का भक्त बताते हुए कहा कि आज ही के दिन एक सिरफिरे ने गांधीजी की हत्या कर दी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता की विचारधारा अमर है।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में योग गुरू रामदेव को भाषण देने के लिए आमंत्रित करने पर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्याथी परिषद (एबीवीपी) ने रामदेव को बुलाने का स्वागत किया है जबकि वामपंथी छात्र संगठन इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
विपक्षी उम्मीदवार माॅरिशियोे माकरी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। इसके साथ ही वाम झुकाव वाली राष्ट्रपति क्रिस्टीना किर्चनर के युग का अंत हो गया है। क्रिस्टीना ने अपने दिवंगत पति के साथ 12 साल तक देश के राजनीतिक फलक पर अपना दबदबा कायम रखा और जन अधिकारों को मजबूती दी थी।
राम जन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार और हिंदुत्ववादी विचारधारा को उभारने में अहम भूमिका निभाने वाले विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
पिछले दो सप्ताह के दौरान यूरोप के दो बड़े देशों पर वामपंथ का रंग चढ़ता नजर आया। ब्रिटेन में हाथिये पर समझी जाने वाली वामपंथी और समाजवादी विचारधारा ने जबरदस्त तरीके से वापसी के संकेत दिए तो यूनान में वामपंथ का जादू एक बार फिर चला।