बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच त्योहारों का दौर भी शुरू होने जा रहा है। इस लिहाज से चुनाव आयोग ने त्योहारों के दौरान रेलवे को विशेष ट्रेनें चलाने की मंजूरी दे दी है। त्योहारों के दौरान बिहारवासियों के लिए 130 स्पेशल ट्रेनें और अलग से दस डुप्लीकेट ट्रेनें चलाने की योजना है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार को सवा लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने के दावे की पोल खोल दी है। नीतीश कुमार ने इस पैकेज में शामिल हरेक घोषणा का बारीकी से विश्लेषण किया है। उनका कहना है कि विशेष पैकेज में 87 फीसदी राशि पुरानी योजनाओं की है और सिर्फ 10368 की राशि नई है।
कोयला घोटाला मामले में एक विशेष अदालत ने राज्यसभा सांसद विजय दर्डा, उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा और पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता को आज जमानत दे दी। यह मामला छत्तीसगढ में फतेहपुर पूर्वी कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि रणवीर सेना के बारे में कोबरा पोस्ट के स्टिंग से हुए खुलासे की जांच के लिए वह राज्य के डीजीपी को लिखेंगे। डीजीपी स्टिंग के टेपों को देखकर कानून के अनुरूप कदम उठाएंगे। समाचार चैनल एबीपी न्यूज के कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में देश के कुछ चुनिंदा संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार पैकेज से लेकर भूमि सुधारों, लालू से गठबंधन, भाजपा नेताओं को भोज पर निमंत्रण के लिए बुलाकर अंतिम क्षण में भोज स्थगित करने जैसे मुद्दों पर खुलकर जवाब दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए आज सवा लाख करोड़ रुपये के भारी-भरकम पैकेज की घोषणा करके अगले कुछ महीनों में होने जा रहे राज्य विधानसभा के चुनावी समर को जोरदार बना दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद बिहार में भाजपा जीत के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती।
मुसलमान औरत के दिल में आजादी की तड़प की थाह लेने की जब-जब कोशिश की गई है तो भीतर ज्वालामुखी की तपिश को महसूस किया गया। वे भी यह जताने को बेसब्र हैं कि वे भी मुकम्मल आजादी की तलबगार हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनके शौहर को एक से अधिक निकाह करने का हक हो। वे तलाक-तलाक-तलाक यानी मुंह जबानी तलाक के खिलाफ हैं।
आजादी के 68 साल के जश्न के बीच आजादी का अहसास किन-किन बंद तालों से आज भी टकरा रहा है, इसकी पड़ताल की जरूरत बेहद शिद्दत से महसूस की जा रही है। ये ताले जब कानूनों के हों तो फिर आजादी की तड़प बंद पिंजरे में फडफ़ड़ाती है।
अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।