वित्त मंत्री अरुण जेटली की संपत्ति वित्त वर्ष 2015-16 में 2.83 करोड़ रुपये कम हो गई। बैंक खाते में नकदी कम होने से उनकी संपत्ति 68.41 करोड़ रुपये रह गई।
मदर डेयरी ने मंगलवार को कहा कि उसने गाय दूध के खंड में प्रवेश किया है और वह अगले एक वर्ष में पांच लाख लीटर प्रतिदिन का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
राज्यसभा के दि्ववार्षिक चुनावों में इस बार जिनका चुना जाना तय है उनमें एक हैं देश के विख्यात कानूनविद राम जेठमलानी जो कि लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नुमाइंदे के रूप में राज्यसभा में बैठेंगे। अपना यह कार्यकाल पूरा करने पर जेठमलानी की उम्र करीब-करीब 99 वर्ष होगी।
जाने-माने ज्योतिषी पंडित अजय भांबी ने नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के समय की कुंडली के आधार पर भविष्यवाणी की है कि प्रधानमंत्री का बेहतर समय अभी जारी रहेगा और अगले वर्ष में मोदी भारतीय राजनीतिक के क्षितिज पर और चमकते हुए दिखेंगे।
सरकार ने साझा चिकित्सा प्रवेश परीक्षा नीट के दायरे से राज्यों के बोर्ड को को एक अकादमिक वर्ष के लिए दूर रखने वाले अध्यादेश की घोषणा को आज मंजूरी दे दी।
बीते वित्त वर्ष में महज 10 लाख ईमानदार लोगों ने आयकर रिटर्न भरते हुए घोषित किया कि उनकी सालाना आय 10 लाख रुपये से अधिक है। सरकार द्वारा जारी आंकडों से यह भी खुलासा हुआ है कि वर्ष 2015-2016 के दौरान सिर्फ चार प्रतिशत लोगों ने ही आयकर रिटर्न भरा।
लगातार दो वर्ष के सूखे के बाद इस वर्ष मानसून के सामान्य से बेहतर होने और देश भर में समान बारिश होने की भारत मौसम विज्ञान विभाग की सूचना किसानों के लिए राहत की खबर लेकर आई है। विभाग ने आज इस वर्ष के पूर्वानुमानों की घोषणा करते हुए कहा कि मानसून के लिहाज से यह साल अच्छा रहेगा।
भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने आज दावा किया कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 265 से अधिक सीट जीतेगी और प्रदेश को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से मुक्ति दिलाएगी।
ऋणदाता बैंकों के दबाव और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई की वजह से देश छोड़कर गए शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा है कि वह इस वर्ष बैंकों को 4000 करोड़ रुपये तक का भुगतान कर देंगे।
सरकारी खजाने से कल्याण की उम्मीद सदा रहती है। सत्ताधारी कांग्रेस हो अथवा भाजपा या आम आदमी पार्टी, हर वर्ष बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री जन-हित और सुविधाओं के लिए विभिन्न मदों में उदारतापूर्वक करोड़ों रुपयों का प्रावधान कर देते हैं। लेकिन साल के अंत में बही-खाता खोलने पर पता चलता है कि कई विभागों के लिए रखी गई धनराशि का बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं हुआ।