एक बुजुर्ग पिता पिछले आठ महीनों से रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय के चक्कर काट रहा है। जिंदगी भर पूरे दमखम से सत्ता प्रतिष्ठानों से लड़ने-भिड़ने का रसूख रखने वाले सांवलराम यादव ने प्रण किया है कि वह युद्ध में हताहत हुए अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलवाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। मामला सिर्फ एक जवान की मौत का नहीं है। इससे जुड़ा हुआ है, उन सैकड़ों जवानों की मौत का मसला जो सियाचिन से लेकर दुर्गम सीमा पर देश के लिए अत्यंत विषम परिस्थितियों में जान गंवा देते हैं। इन जवानों की मौत को आखिरकार शहीद का दर्जा क्यों नहीं मिलता?
आज सुबह इलाहाबाद के बाद वायु सेना का एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे से ठीक पहले विमान के दोनों पायलट सुरक्षित कूदने में कामयाब रहे और कोई हताहत नहीं हुआ है।
सोशल मीडिया ही नहीं मुख्यधारा के मीडिया में भी कई पुरानी तस्वीरों को म्यांमार सीमा पर हुई सैन्य कार्रवाई की तस्वीरों के तौर प्रचारित किया जा रहा था। लेकिन इन कोशिशों की पोल जल्द ही खुल गई।
पिछले दिनों मणिपुर में भारतीय सेना के 18 जवानों को मौत के घाट उतारने वाले आतंकियों को भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर मार डाला। यह कार्रवाई म्यांमार की सेना के सहयोग से चलाई गई।
मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने मणिपुर में कल उग्रवादियों के हमले में 18 सैन्यकर्मियों की मौत की घटना निंदा की, लेकिन कहा कि दूरदराज इलाकों में शस्त्र बल विशेषधिकार कानून (आफ्स्पा) कोई उपयोग नहीं है।
इंफाल से 80 किलोमीटर दूर तेंगनॉपाल-न्यू समतल रोड पर जब 6 डोगरा रेजिमेंट के जवान नियमित गश्त लगा रहे थे तभी एक अज्ञात उग्रवाद समूह ने उन पर हमला कर दिया। हमले में 20 जवान शहीद हो गए जबकि 11 जवान घायल हो गए।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सुरक्षा कारणों से सशस्त्र बलों में कॉम्बेट अभियानों के लिए महिलाओं की भर्ती करने से इंकार किया है लेकिन कहा कि अन्य संचालन क्षेत्रों से जुड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा।
त्रिपुरा में विवादास्पद अफ्सपा कानून भले ही हट गया है लेकिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि अगर जम्मू-कश्मीर या देश के किसी राज्य में आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना को तैनात रखना है तो अफ्सपा जरूरी है।