आम आदमी पार्टी से नाराज चल रहे कुमार विश्वास के मान-मनौव्वल का दोर जारी है। विश्वास को मनाने के लिए अरविंद केजरीवाल औऱ मनीष सिसोदिया कल देर रात तक कोशिश करते रहे।
आम आदमी पार्टी में चल रहा झगड़ा बुधवार को समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पीएसी की बैठक में विधायक अमानतुल्लाह खान को पार्टी से सस्पेंड करने का फैसला लिया गया। अमानतुल्लाह ने कुमार विश्वास पर भाजपा एजेंट होने का आरोप लगाया था। बैठक में कुमार विश्वास को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इससे पहले राजस्थान के प्रभारी मनीष सिसोदिया थे। विश्वास को राजस्थान के चुनाव में पार्टी को खड़ा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
कुमार विश्वास के झगड़े की वजह कहीं राज्यसभा की सदस्यता तो नहीं है। अचानक विश्वास के तेवर बदलने को लेकर पार्टी में कई तरह की चर्चाएं हैं। पंजाब व गोवा के बाद निगम चुनावों को लेकर जिस तरह आप में उठापटक हुई है, उसकी वजह आप में पार्टी नेताओं द्वारा जगह बनाना और राज्यसभा की दावेदारी मजबूत करना माना जा रहा है।
एमसीडी चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी के दिल्ली संगठन में भारी फेरबदल हो सकता है। राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विधायकों के साथ संगठन में बदलाव पर बातचीत की है। मंगलवार को दिल्ली के जिला प्रभारी और पदाधिकारियों के साथ केजरीवाल बैठक करेंगे।
विधानसभा चुनावों और दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार के बाद केजरीवाल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। ट्विटर पर लिखे एक पत्र में उन्होंने गलती स्वीकार की है।
आम आदमी पार्टी :आप: ने लगातार तीन चुनाव में हार के बाद पार्टी के मिशन विस्तार में फौरी तौर पर बदलाव किया है। आप नेतृत्व ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में उम्मीद के विपरीत मिले परिणाम की समीक्षा में पार्टी के मिशन विस्तार से केजरीवाल सरकार को दूर रखने और ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाने की रणनीति में बदलाव किया है।
दिल्ली नगर निगम में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाने वाले संजय सिंह सहित आशीष तलवार और दुर्गेश पाठक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफे दे दिए हैं।
दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर इस्तीफेे का चौतरफा दबाव पड़ा रहा है। सबसे ज्यादा निशाना उनकी "बहानेबाजी" और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को बनाया जा रहा है।
दिल्ली नगर निगम में भाजपा को तीसरी बार बहुमत मिलना एक बड़ी कामयाबी है। विधानसभा चुनाव में 3 विधायकों पर सिमटी भाजपा के लिए यह डगर आसान नहीं थी। यह दिल्ली में भाजपा के नए चेहरों और नई रणनीति की जीत है। उधर, आम आदमी पार्टी विधानसभा की जबरदस्त जीत के बाद जनता की जबरदस्त नाराजगी का शिकार हो गई है।