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चार्ल्स कोरिया: रोशनी और हवा से रचते थे इमारतें

चार्ल्स कोरिया: रोशनी और हवा से रचते थे इमारतें

भारत के संभवतः सबसे चर्चित और प्रतिष्ठित वास्तुकार (हालांकि मुझे स्थापति शब्द बेहतर नजर आता है) चार्ल्स कोरिया (1924-2015) का मुंबई में 16 जून को निधन हो गया। यह कला और स्थापत्य की दुनिया के लिए बुरी खबर है। उनका जन्म 1 सितंबर, 1930 के दिन सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश) में हुआ था। चार्ल्स कोरिया के निधन से कुछ ही दिन पहले चंडीगढ़ के प्रसिद्ध रॉक गार्डन’ के रचनाकार नेकचंद (1924-2015) के न रहने की बुरी खबर मिली थी।
वसुधैव कुटुम्बकम

वसुधैव कुटुम्बकम

लव जिहाद के नाम पर हिन्दू और मुसलमान के बीच जहां कुछ लोग वैमनस्य फैलाने में जुटे हैं, वहीँ महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका दिनों के साथी इमाम अब्दुल कादर बवाज़िर के खानदान के सदस्य पिछली चार पीढ़ी से संप्रदाय और धर्म के बंधनों को तोड़ कर 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत को अपने जीवन से प्रस्थापित कर रहे हैं।
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