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Search Result : "सामाजिक समरसता स्नान"

भीमा-कोरेगांव मामला- 6 सितंबर तक सामाजिक कार्यकर्ता रहेंगे नजरबंद, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

भीमा-कोरेगांव मामला- 6 सितंबर तक सामाजिक कार्यकर्ता रहेंगे नजरबंद, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की ओर से पांचों सामाजिक कार्यकर्तांओं को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा है कि सभी आरोपी...
सामाजिक न्याय और अधिकार के लिए लड़ना अगर गुनाह हैं तो मैं गुनहगार हूं: हार्दिक पटेल

सामाजिक न्याय और अधिकार के लिए लड़ना अगर गुनाह हैं तो मैं गुनहगार हूं: हार्दिक पटेल

2015 के विसनगर दंगा मामले में गुजरात कोर्ट द्वारा बुधवार को पाटीदार कोटा आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को...
गोरक्षा को संघर्ष का रूप देना सामाजिक पाप: आरएसएस

गोरक्षा को संघर्ष का रूप देना सामाजिक पाप: आरएसएस

आरएसएस के एक बड़े नेता ने गोरक्षा को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा गया कि गोरक्षा को लेकर राजनीति करना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे संघर्ष का रूप देना सामाजिक पाप है।
देश में पत्रकारिता से सामाजिक जागरुकता आई : प्रणब मुखर्जी

देश में पत्रकारिता से सामाजिक जागरुकता आई : प्रणब मुखर्जी

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पत्रकारिता का देश के सामाजिक सुधार के साथ लोगों में जागरुकता लाने में अहम योगदान है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि देश की आजादी से लेकर वर्तमान में पत्रकारिता ने कई आयामों की स्‍थापना की है।
किसी लिंग नहीं, बल्कि मानसिकता के खिलाफ जंग है नारीवाद: शाजिया इल्मी

किसी लिंग नहीं, बल्कि मानसिकता के खिलाफ जंग है नारीवाद: शाजिया इल्मी

राजनीतिक कार्यकर्ता शाजिया इल्मी ने कहा कि पितृसत्तात्मकता एक मानसिकता है और नारीवाद इसी मानसिकता के खिलाफ लड़ाई है और यह किसी विशेष लिंग तक सीमित नहीं है। शाजिया ने बी बोल्ड फाॅर ए चेंज शीर्षक पर पैनल की चर्चा में यह बात कही। यह विषय इस साल के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का भी थीम है।
सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
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