देश के मौजूदा सियासी-सामाजिक हालातों पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना सय्यद अरशद मदनी मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि कुछ मौजूदा मसलों पर सरकार ने अगर समझदारी का सुबूत न दिया,जो लोग मुल्क के हालात खराब करने की कोशिश कर रहे हैं अगर सरकार के हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुंचे या उनके हौसले को न तोड़ा गया तो हालात खराब होंगे।
उत्तर प्रदेश में अपनी खोई पैैठ बढ़ाने के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास कर रही है। अंबेडकर की विचारधारा को ध्यान में रखते हुए दलित समाज को अपने से जोड़ने के लिए पार्टी ने भीम ज्योति यात्रा का पिछले साल सफल आयोजन किया। अब वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर 20 अगस्त को भीम भोज का आयोजन करेगी।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को अलग पहचान प्रदान करने और उनका शोषण करने वालों को दंडित करने की व्यवस्था कायम करने के मकसद से मंगलवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया।
स्वामी अग्निवेश ने दोबारा से सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर लिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी मुहिम की प्रशंसा करने वाले स्वामी अग्निवेश ने जद यू का दामन थामा है। जद यू बिहार के बाहर शराबबंदी के जरिए अपना फैलाव करना चाहती है। लिहाजा अग्निवेश काेे पार्टी में शामिल करने के पीछे यही रणनीति हो सकती है। सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने राष्ट्रव्यापी शराब बंदी पर जोर दिया है।
चीन ने कई ऑनलाइन समाचार पत्रों का संचालन बंद कर दिया है। इससे पहले अधिकारियों ने स्वतंत्र रिपोर्टिंग और संभवत: संवेदनशील विषयों के बारे में लेख प्रकाशित करने को लेकर उनकी आलोचना की थी।
हाल के मंत्रिमंडल विस्तार में महाराष्ट्र के दलित नेता और सांसद रामदास अठावले को सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री तो बनाया गया लेकिन निजी सचिव की फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय ने लटका दी है। अठावले ने भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी देवयानी खोबरागड़े का नाम निजी सचिव के लिए भेजा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरर्राज्यीय परिषद की बैठक में बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर द्वारा लिखी बात का हवाला देते हुए कहा कि भारत जैसे देश में सामाजिक सुधार का काम उतना ही मुश्किल है जितना स्वर्ग जाने का रास्ता। मोदी ने कहा कि आज भी यह बात बिल्कुल प्रासंगिक है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि आतंकवाद, तस्करी और मादक पदार्थों से जुड़ी गतिविधियां एक दूसरे से जुड़ी हैं और देश के सामाजिक जीवन को तबाह करने वाली इन बुराइयों की कड़ियों को तोड़ने के लिए समन्वित प्रयास जरूरी हैं।
एक बार मैं देर रात लोकल ट्रेन से घर लौट रही थी। उस कंपार्टमेंट में कुछ और औरतें भी थीं जो ड्रेस में थीं। मुझे लगा वे किसी जेवर की दुकान में काम करने वाली लड़कियां होंगी। पर, इतनी देर तक जेवर की दुकानें खुली नहीं रहती हैं।