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मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
हर विद्रोह में ‘विद्रोही’ जिंदा रहेगा

हर विद्रोह में ‘विद्रोही’ जिंदा रहेगा

संघर्ष का नाम जनकवि रमाशंकर 'विद्रोही' नहीं रहे। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दो दशकों में आने वाले हजारों छात्र उनकी कविता सुनकर संघर्ष करना सीखे होंगे। 'आसमान में धान बोने वाला' ये निर्भीक कवि संघर्ष करते हुए ही मरा। सोशल मीडिया पर विद्रोही की कविताओं का उत्सव सा जारी है। आंदोलनों में उनकी कविताएं गूंजती रहती हैं लेकिन उनकी चर्चित कविताओं में ‘जब भी किसी गरीब आदमी का अपमान करती है, ये तुम्हारी दुनिया, तो मेरा जी करता है, कि मैं इस दुनिया को उठाकर पटक दूं।’, ‘मैं भी मरूंगा और भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगे लेकिन मैं चाहता हूं कि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें, फिर भारत भाग्य विधाता मरें ’, ‘आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाए या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन लेकिन असली गाय के घी का सुरमा, तो नूर मियां ही बनाते थे...’ , ‘मैं किसान हूं आसमान में धान बो रहा हूं, कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले, आसमान में धान नहीं जमा करता, मैं कहता हूं पगले, अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान में धान भी जम सकता है।..’ सोशल मीडिया पर इस जनकवि को श्रद्धांजलि देने वालों का सैलाब है-
साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा 23 भारतीय भाषाओं के युवा रचनाकारों को साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार-2015 प्रदान किए गए। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, कोई भी पुरस्कार या राशि तो वापस की जा सकती है किंतु प्राप्त सम्मान कभी वापस नहीं किया जा सकता। यह स्वयं द्वारा अर्जित होता है और समाज यानी ‘लोक’ की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
विहान के मंच पर विभोर

विहान के मंच पर विभोर

सृजनात्मक सरोकारों की दिशा में काव्य प्रतिभाओं की नई आमद हुई है। इन्हीं नवोदित कवि प्रतिभाओं की कविता का पाठ हुआ। विभोर उपाध्याय ने कला समूह विहान के अंतर्गत स्थापित पोएटिक्स मंच पर युवा मन में अंकुराती उम्मीदों, स्मृतियों, सपनों और सामजिक संवेदनाओं से गहराती कविताओं का अनूठी वाचिक शैली में पाठ किया। तीसरा कोना, वक्त, बचपन, यादें, आखरी पन्ना शीर्षक से रचनाएं श्रोताओं तक पहुंची।
साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्यिक पत्रिका समास के संपादक और साहित्यकार उदयन वाजपेयी अपनी कहानियों से ज्यादा उनके द्वारा लिए गए विभिन्न हस्तियों के साक्षात्कार के लिए पहचाने जाते हैं। कई साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच समास का अलग तेवर है। स्थानीय पुट के साथ-साथ इसमें राष्ट्रीयता का दखल भी इसमें कम नहीं होता। साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी और इस दुनिया के बदलते तेवर पर उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात साझा की।
साहित्यिक जंग का नया माहौल और सत्‍ता की प्रतिक्रिया

साहित्यिक जंग का नया माहौल और सत्‍ता की प्रतिक्रिया

साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने का सिलसिला एक नई परिस्थिति का संकेत देता है और एक अभूतपूर्व माहौल की रचना भी करता है। परिस्थिति नई है, वरना अभी तक यह माना जाता रहा है कि कला और साहित्य में राज्य द्वारा सम्मानित किए जाने के लिए होड़ लगी रहती है। पुरस्कार लौटाने की व्यग्रता इस पैमाने पर पहले नहीं देखी गई।
इन छह चीजों ने तय की बिहार चुनाव की तस्‍वीर

इन छह चीजों ने तय की बिहार चुनाव की तस्‍वीर

चुनाव अपने यहां सचमुच उत्सव हैं। चुनाव लड़ने-लड़ाने वालों को छोड़कर सभी इसको इंज्वॉय करते हैं। और बिहार चुनाव तो उत्सवों के समय ही होते रहे हैं। बिहार का आदमी थोड़ा हटकर होता है। उसे अमेरिकी चुनाव की भी अंदरुनी जानकारी होती है तो यह कैसे कह सकते हैं कि बिहार में हो रहे चुनाव के अंदर की खबरें उसके पास नहीं होंगी।
देश में ऐसे हालात पहले नहीं देखे: गुलजार

देश में ऐसे हालात पहले नहीं देखे: गुलजार

जानेमाने गीतकार गुलजार ने बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के विरोध में लेखकों की ओर से साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने को सही बताते हुए कहा कि देश में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए।
साहित्य अकादमी चाहती है लेखकों की ‘घर वापसी’

साहित्य अकादमी चाहती है लेखकों की ‘घर वापसी’

लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए साहित्य अकादमी ने आज सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य एवं केंद्र सरकारों से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने की अपील की।
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