धक-धक गर्ल यानी माधुरी दीक्षित आज अपना 49 वां जन्म दिन मना रहीं हैं। अपने लाजवाब अभिनय और नृत्य से माधुरी लाखों दिलों में राज करने वाली हस्ती बन गईं। माधुरी दीक्षित की हेयर स्टाइल से खासकर लड़कियां इतनी प्रभावित हुईं थीं कि ‘माधुरी कट’ हेयर स्टाइल ट्रेंड करने लगा था। और तो और किसी ने यहां तक कह दिया था कि हम कश्मीर छोड़ देंगे अगर तुम हमें माधुरी दीक्षित दे दो।
कर्नाटक सरकार ने आज राज्य के सभी सिनेमाघरों में टिकटों का अधिकतम मूल्य 200 रूपये तय कर दिया है। साथ ही, प्राइम टाइम के दौरान मल्टीप्लेक्सों में कन्नड़ और क्षेत्रीय सिनेमा दिखाना अनिवार्य कर दिया है।
फिल्म उद्योग में भाई-भतीजावाद पर बहस की शुरूआत करने वाली बिंदास अभिनेत्री कंगना रनौत का कहना है कि करण जौहर के चैट शो में उन्होंने जो टिप्पणी की थी वह उनका आकलन थी और इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उन्हें फिल्मी हस्तियों की संतानों के बॉलीवुड का हिस्सा बनने पर कोई एतराज है। यह बात कंगना ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कही।
तेल, साबुन जैसे रोजमर्रा के उत्पादों से जुड़ा एफएमसीजी उद्योग भारत में सबसे ज्यादा वेतन देने वाला उद्योग बनकर उभरा है। इस उद्योग में सभी स्तरों और कामकाज को मिलाकर कंपनियों की औसत सालाना लागत 11.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
देश में वस्तु एवं सेवाकर :जीएसटी: को अमल में लाने को लेकर उद्योग जगत के मन में अब भी कई तरह के सवाल हैं और उसका मानना है कि इस देशव्यापी नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जीएसटी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि जीएसटी नेटवर्क कितना दक्ष और मजबूत है।
आठ दशक लंबे स्वर्णिम दौर के बाद दिल्ली का प्रतिष्ठित सिनेमाघर रीगल कल बंद हो जाएगा। इसमें दिखाई जाने वाली अंतिम फिल्म होगी अभिनेता राजकपूर की मेरा नाम जोकर और संगम। मध्य दिल्ली के कॅनाट प्लेस में स्थित रीगल के वास्तुकार थे वाल्टर स्काइज जॉर्ज। इसे वर्ष 1932 में खोला गया था। सिनेमाघर के मालिकों में से एक विशाल चौधरी ने बताया कि प्रशंसकों के अनुरोध के बाद ही उन्होंने राजकपूर की फिल्में दिखाने का निर्णय लिया।
राजस्थान विधानसभा में आज भाजपा विधायक संदीप शर्मा ने अपनी ही सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान कोटा में 16 उद्योग लगाने के लिए सहमतिपत्रों पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन उनमें से एक भी धरातल पर नहीं उतरा।
बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा माधुरी दीक्षित का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्योग अब अधिक अनुशासित हो गया है। उन्होंने कहा कि अब फिल्में निर्धारित समय पर पूरी हो जाती हैं। इससे काम करने वाले लोग समय के पाबंद हो गए हैं।