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Search Result : "सुंदर लाल पटवा"

आईपीएल की साख ‘दागदार’, प्रायोजन से पेप्सी ने खींचे हाथ

आईपीएल की साख ‘दागदार’, प्रायोजन से पेप्सी ने खींचे हाथ

शीतल पेय बनाने वाली कंपनी पेप्सिको ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) को नोटिस भेजकर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) प्रायोजन से हाथ खींचने की इच्छा व्यक्त की है। कंपनी का कहना है कि विवादास्पद स्पॉट फिक्सिंग के कारण इसकी खेल प्रतियोगिता की साख को बट्टा लगा है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने अपने नोटिस में इसी गिरती साख के कारण यह फैसला करने की इच्छा व्यक्त की है।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
सिलिकन वैली से पीएम मोदी को क्‍या हासिल?

सिलिकन वैली से पीएम मोदी को क्‍या हासिल?

अमेरिका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी केंद्र सिलिकन वैली में काफी समय गुजारा। इस दौरान वह गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों के मुख्‍यालय भी गए। करीब 30 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री के सिलिकन वैली के पहले दौर में डिजिटल इंडिया की खूब चर्चा हुई। माइक्रोसॉफ्ट से लेकर एप्‍पल और क्‍वॉलकॉम जैसी कंपनियों ने इस अभियान में दिलचस्‍पी दिखाई है।
मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

हरियाणा में कमल वाली सरकार आने के बाद से लेकर अभी तक कोई करिश्मा नहीं हुआ। वादों की जमीन बंजर है। लेकिन एक मंत्री ऐसे हैं जिनका अपने विभाग के काम को लेकर ऐसा जुनून है कि इतनी चर्चा सरकारी योजनाओं की नहीं होती जितनी उनके ट्वीट की हो जाती है। जब से इन्होंने पदभार संभाला है तब से छापे और बर्खास्तगियां आम बात है। वह कभी अस्पताल तो कभी सचिवालय की छत पर खुद चढक़र पानी की टंकी साफ करने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग में इनका ऐसा हौवा है कि हरियाणा में एक जुमला कहा जाने लगा है, ‘भाग नहीं तो अनिल विज आ जाएगा’। पांच दफा विधायक चुने जा चुके साफ-सुथरी छवि के विज ने न तो सरकारी मकान लिया, न टेलीफोन सुविधा। गलत निर्णयों में अपनी ही सरकार की ऐसी-तेसी करने से भी नहीं डरते।
सुंदर पिचई कैसे बने गूगल के सीईओ? 5 बड़ी वजहें

सुंदर पिचई कैसे बने गूगल के सीईओ? 5 बड़ी वजहें

दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी गूगल के शिखर पर पहुंचने वाले सुंदर पिचई ने आईआईटी खडगपुर से बीटेक और स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस की पढ़ाई मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग में की थी। इसके बाद उन्‍होंने व्‍हार्टन स्‍कूल से एमबीए किया और 10 साल के भीतर कंपनी के सीईओ पद तक पहुंच गए। जानिए, पिचई की कौन-सी खूबियों ने दिलााई पिचई को ये कामयाबी
पुरुष मोर की तरह सुंदर दिखें

पुरुष मोर की तरह सुंदर दिखें

फैशन का मतलब सिर्फ अच्छे या चलन में चल रहे कपड़े पहनना भर नहीं है। फैशन बहुत अलग ढंग से परिभाषित होता है। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि फैशन लड़कियों के लिए होता है। जनाब फैशन पुरुषों के लिए भी होता है। जे जे वलाया ने यही तो कर दिखाया है।
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