मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को साल 2015 का दादासाहेब फाल्के अवार्ड दिया जाएगा। अपनी विशिष्ट अभिनय शैली और देशभक्ति की भावना से भरी फिल्मों के लिए मनोज कुमार लाखों भारतीय दिलों पर राज करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया है। गुरुवार की शाम करीब साढ़े छह बजे कन्हैया को जेल से रिहा किया गया और वह वापस जेएनयू पहुंच चुके हैं।
जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी के मामले में दिल्ली सरकार की मजिस्ट्रेट जांच में कन्हैया कुमार को क्लीन चिट दिया गया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार जेएनयू में आयोजित उस विवादित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के भारत विरोधी नारेबाजी करने का कोई सबूत नहीं पाया गया। पुलिस ने इसी आरोप के आधार पर कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।
आगामी असम विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर अपनी-अपनी पार्टियों से नाराज भाजपा और असम गण परिषद (एजीपी) के स्थानीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से ने आज ब्रमपुत्र घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पुतला फूंका। साथ ही, उन्होंने आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतारने की धमकी दी। विभिन्न जिलों में कार्यालय के फर्नीचर तोड़ कर प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला और अपने पार्टी नेताओं के पुतले फूंके।
नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की भारी चुनावी जीत में प्रमुख रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर अब एक किताब लिखने जा रहे हैं। अपनी पहली किताब में किशोर चुनाव को लेकर अपने अनुभव को साझा करने के साथ ही नेताओं और चुनावों को लेकर भारतीय मतदाताओं की सोच को भी विश्लेषित करेंगे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद कन्हैया को अदालत ने कुछ शर्तों के साथ छह महीने की अंतरिम जमानत दी है।
अपने मशहूर टीवी शो में बॉलीवुड से लेकर खेल जगत तक की दिग्गज हस्तियों को बुला चुके कॉमेडियन कपिल शर्मा अब नेताओं को अपने शो पर मेहमान के तौर पर बुलाना चाहते हैं। इसी क्रम में उनकी एक बड़ी इच्छा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने शो पर बुलाने की है क्योंकि कपिल को उनकी कहानी प्रेरणादायी लगती है।
छात्र राजनीति का इतिहास बहुत पुराना है। राष्ट्र के नव-निर्माण से लेकर आज तक यह जारी है। हाल में भारत के विश्वविद्यालयों से एक आंधी उठी है जो हो सकता है देश की राजनीति के लिए बवंडर साबित हो