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सियाचिन हादसे में बचे बहादुर सैनिक हनुमनथप्पा कोप्पाड नहीं रहे

सियाचिन हादसे में बचे बहादुर सैनिक हनुमनथप्पा कोप्पाड नहीं रहे

सियाचिन ग्लेशियर में कई टन बर्फ के नीचे दब जाने के बावजूद चमत्कारिक रूप से जिंदा निकाले गए लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पाड का आज निधन हो गया। कोप्पाड की तबीयत कल ज्यादा बिगड़ गई थी। उन्हें 9 फरवरी को सियाचिन में बर्फ के नीचे से निकाले जाने के बाद आर्मी रिसर्च ऐंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
‘रजाई ओढ़ के सोच रहा हूं, उन्होंने बर्फ कैसे ओढ़ी होगी’

‘रजाई ओढ़ के सोच रहा हूं, उन्होंने बर्फ कैसे ओढ़ी होगी’

सियाचिन ग्लेशियर से जीवित निकाले गए बहादुर सैनिक लांस नायक हनुमंथप्पा कोप्पाड का आज निधन हो गया। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज बताया लांस नायक हनमनथप्पा नहीं रहे। उन्होंने सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। मद्रास रेजिमेंट के 33 वर्षीय सैनिक के परिवार में उनकी पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल और दो वर्ष की एक बेटी नेत्रा कोप्पाड है। कर्नाटक के धारवाड़ के बेटादूर गांव के रहने वाले कोप्पाड 13 वर्ष पहले सेना से जुड़े थे।
सियाचिन हिमस्खलन में जीवित बचे सैनिक को देखने गए पीएम

सियाचिन हिमस्खलन में जीवित बचे सैनिक को देखने गए पीएम

सियाचिन में हुए हिमस्खलन में भारी बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहने के बाद चमत्कारिक रूप से जीवित निकले लांस नायक हनुमनथप्पा को देखने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आर्मी अस्पताल गए। हनुमनथप्‍पा को सिया‍चिन से विशेष एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली लाया गया था।
पेशावर स्कूल हमले के बाद पाक ने 182 मदरसों को किया सील

पेशावर स्कूल हमले के बाद पाक ने 182 मदरसों को किया सील

पेशावर के एक सैनिक स्कूल पर 2014 में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार ने आतंकी गतिविधियों में कथित रुप से शामिल कई मदरसों पर कार्रवाई किया है। हमले के बाद से पाक अधिकारियों ने संदिग्ध मदरसों के खिलाफ चलाए गए देशव्यापी अभियान में 182 मदरसों को सील कर दिया है।
सेना, पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की वर्दी बिक्री को नियमित करेगा चंडीगढ़

सेना, पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की वर्दी बिक्री को नियमित करेगा चंडीगढ़

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने सेना, पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की वर्दी और अन्य वस्तुओं की बिक्री को नियमित करने की दिशा में कदम उठाया है ताकि आतंकवादियों द्वारा उनके दुरूपयोग को रोका जा सके। गौरतलब है कि चंडीगढ़ के पास पंचकूला में सेना की छावनी और इसके आसपास इन वर्दियों की बिना रोक-टोक खुली बिक्री होती है।
गणतंत्र दिवस: देश में कड़ी सुरक्षा, कुछ जगहों पर अफवाह से दहशत

गणतंत्र दिवस: देश में कड़ी सुरक्षा, कुछ जगहों पर अफवाह से दहशत

पंजाब के पठानकोट में आज उस समय हड़कंप मच गया जब शहर के रेलवे स्टेशन पर एक लावारिस बैग पाया गया। हालांकि बाद में जब बैग की तलाशी ली गई तो उसमें कुछ कपड़े पाए गए। बैग एक सैनिक का था जिसे उसने गलती से छोड़ दिया था। वहीं देहराहून में एक संदिग्ध आतंकी के देखे जाने के बाद से दहशत फैल गई है। संदिग्ध को एक सीसीटीवी फुटेज में देखा गया है।
1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जैकब का निधन

1971 के भारत-पाक युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जैकब का निधन

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में अद्भुद कुशलता का प्रदर्शन कर दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जे एफ आर जैकब का आज निधन हो गया। लेफ्टिनेंट जनरल जैकब ने युद्ध के बाद ढाका में पकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण का रास्ता हमवार किया था। जैकब को बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका अदा करने के लिए भी याद किया जाता है।
अमेरिकी सेना में सिख सैनिक को दाढ़ी, पगड़ी की छूट

अमेरिकी सेना में सिख सैनिक को दाढ़ी, पगड़ी की छूट

अमेरिकी सेना में लड़ाकू सैनिक के तौर पर तैनात एक सिख जवान को दुर्लभ अपवाद के तहत अस्थायी धार्मिक रियायत मिली है, जिसके तहत उसे दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की अनुुमति होगी। यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए मिली है।
बच्चों को सीमा पर तैनात सैनिकों से मिलाएंः ईरानी

बच्चों को सीमा पर तैनात सैनिकों से मिलाएंः ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि बच्चों को सीमा पर तैनात सैनिकों से जाकर मिलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि उनमें इन सैनिकों की सेवाओं के प्रति एक बेहतर समभुा विकसित हो सके और साथ ही सैनिकों की सेवाओं के प्रति देश का आभार भी व्यक्त किया जा सके।
पूर्व सैनिक साबित करें, आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं :पर्रिकर

पूर्व सैनिक साबित करें, आंदोलन राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं :पर्रिकर

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों के मेडल जलाने की कोशिशों को राष्ट्र और सशस्त्र बलों का अपमान बताते हुए आज कहा कि पूर्व सैनिकों को साबित करना चाहिए कि एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) आंदोलन के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।
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