हरिद्वार में आज अर्द्ध कुंभ का समापन और उज्जैन में सिंहस्थ-कुंभ की शाही शुरुआत हो रही है। भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव, जिसमें लाखों नहीं करोड़ों लोग पहुंचते हैं।
अंबेडकर जयंती पर हरिद्वार में आयोजित समरसता सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कांग्रेसियों के विरोध का सामना करना पड़ा। कांग्रेसी नेताओं ने उत्तराखंड की सरकार को हटाने के लिए भाजपा अध्यक्ष को दोषी ठहराया।
उत्तराखंड में जारी राजनीतिक संकट के बीच सत्ताधारी कांग्रेस ने बाबा रामदेव पर भाजपा नेतृत्व के साथ मिलकर राज्य सरकार को गिराने का आरोप लगाया जबकि योग गुरू ने इसका खंडन करते हुए कहा कि राजनीतिक घटनाओं के लिए उनकी बजाय राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया जाया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने हरिद्वार (मायापुर) में शिव की पौढ़ी, विशिष्ट श्रेणी अतिथि गृह एवं 14 सालों से अधूरी पड़ी भीम गौड़ा बैराज तथा हरिद्धार डैम पर नई तकनीक द्वारा ऑटोमेंशन परियोजना का शिलान्यास किया।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने उत्तराखंड में गंगा नदी के किनारे कौडियाला से ऋषिकेश तक के समूचे क्षेत्र में कैंपिंग गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी है। हालांकि फिलहाल एनजीटी ने क्षेत्र में एडवेंचर स्पोर्ट्स राफ्टिंग पर रोक नहीं लगाई है। एक दूसरे निर्णय में एनजीटी ने गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा और उसके आसपास किसी भी प्रकार के प्लास्टिक के इस्तेमाल पर एक फरवरी से पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल ऋषिकेश आ रहे हैं, लेकिन लोगों का ध्यान रामदेव की पतंजलि योगपीठ पर लगा हुआ है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के समय से ही रामदेव इस कोशिश में लगे रहे हैं कि उत्तराखंड में उनकी पहली यात्रा पतंजलि योगपीठ की ही होनी चाहिए। बीते एक साल में केंद्र सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्री किसी न किसी मौके पर पतंजलि योगपीठ का भ्रमण कर चुके हैं, लेकिन रामदेव प्रधानमंत्री को बुलाने में सफल नहीं हो पाए हैं। प्रधानमंत्री को पतंजलि योगपीठ लाना रामदेव के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। अब, 11 सितंबर को यह तय हो जाएगा कि रामदेव की प्रतिष्ठा बढ़ेगी या वे उपेक्षा का शिकार दिखेंगे।
हाल के दिनों की कुछ घटनाओं का आधार मान लें तो हिंदू संतों की जिंदगी सवालों के घेरे में है। जो सेवा, त्याग, तपस्या का दम भरते थे, वे सिक्कों की खनखनाहट के फेर में पड़ने से लेकर संदिग्ध लोगों तक को पदवियां बांटने में जुटे हुए दिख रहे हैं। संतई एक भरा-पूरा कारोबार नजर आ रही है। नाम, पहचान, भगवान से लेकर पद-परंपरा तक, सब कुछ बिकने वाली चीजों में शुमार हो गए हैं। ऐसे हालात में आस्था और भरोसा कहीं कोने में दुबक कर सिसक रहे हैं। संतों का कारोबार लगातार तरक्की कर रहा है और जिंदगी की दुश्वारियों से परेशान लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में उनके शरणागत हो रहे हैं।
साल भर पहले डेरा सच्चा सौदा के करीब दस हजार लोगों ने हरिद्वार की यात्रा की थी। ये सभी अपने साथ झाडू़ और साफ-सफाई का सामान लेकर आए थे। इन श्रद्धालुओं ने दिन भर में पूरे हरिद्वार शहर को साफ कर दिया था और शहर से इतना कूड़ा एकत्र किया था कि उसे हटाने में नगर निगम को एक सप्ताह से ज्यादा लग गया था। क्या ऐसी ही उम्मीद कांवड़ियों से की जा सकती है?