उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों के लिए कमर कस रही भाजपा भले ही दावा करे कि चुनाव विकास पर लड़ा जाएगा लेकिन राम मंदिर को लेकर ध्रुवीकरण की तैयारी, 10 जून को बड़ा आयोजन
माकपा नेता सीताराम येचुरी का मानना है कि मोदी सरकार देश के लोकतांत्रिक ढांचे को गिराने पर आमादा है। उनकी राय है कि भाजपा के हिंदू राष्ट्रवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को उलझाया है। इसकी आर्थिक नीतियों ने देश को कम और पूंजीवादी पाश्चात्य देशों को ज्यादा फायदा पहुंचाया है। पार्टी ने संसदीय लोकतंत्र पर हमला करते हुए देश की संवैधानिक संस्थानों का मखौल उड़ाया है।
बांग्लादेश के अधिकारियों ने एक हाई स्कूल के हिंदू प्रधानाचार्य को आज उनके पद पर बहाल कर दिया। अधिकारियों ने माना उनकी बर्खास्तगी अवैध थी। बर्खास्त शिक्षक से उठक-बैठक करा कर उसका अपमान करने वाले सांसद के खिलाफ पूरे देश में हजारों शिक्षकों ने रैलियां निकालीं।
सूरत में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के भतीजे भरत तोगड़िया समेत 3 लोगों की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई। घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर फौरन भाग निकले।
सिविल सर्विस परीक्षा में 361 वीं रैंक के साथ सफलता हासिल करने वाले मुस्िलम युवक अंसार अहमद शेख ने एक बार अपना नाम बदल कर शुभम रख लिया था। पुणे के फर्ग्युसन कालेज में पढ़ने आए अंसार ने ऐसा इसलिए किया था ताकि उसे कालेज हास्टल में रहने और खाने की उचित सुविधा मिल सके।
शहनाई के शहंशाह बिस्मिल्ला खां साहब ने वाराणसी में रहकर दुनिया का दिल जीता। सांप्रदायिक सद्भावना की अद्भुत अलख जगाई। इसीलिये खान साहब को ‘भारत रत्न’ देकर देश की सरकार और जनता ने अपने को गौरवान्वित बनाया। उन्हीं खान साहब के वाराणसी शहर में गजल सम्राट गुलाम अली के आने पर एक कट्टरपंथी संगठन के भ्रमित लोगों ने कड़ा विरोध किया है।
कश्मीर में पीडीपी और भाजपा गठबंधन की सरकार है। कश्मीर क्षेत्र से बड़ी संख्या में हिंदुओं को खदेड़ दिया गया। भाजपा सांसद तथा हिंदुत्व और संघ के प्रबल समर्थक, एक अखबार के मालिक अश्विनी कुमार की पीड़ा है कि अपने ही देश में हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। कश्मीर और हिंदुत्व के मुद्दे पर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने बात की:
भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि पार्टी उत्तर प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ेगी न कि राम मंदिर के मुद्दे पर। पार्टी ने कहा कि राम मंदिर कभी चुनावी मुद्दा नहीं रहा है बल्कि यह देश के करोड़ों हिंदुओं के लिए एक आस्था का विषय है।
केंद्र और दिल्ली सरकार की नाक के नीचे हजारों दलित परिवारों के लिए पीने लायक साफ पानी, बच्चों के लिए शिक्षा, सिर छिपाने लायक छोटे फ्लैट, गंदी नालियां और शौचालय साफ करने के लिए सामान और उचित मजदूरी नहीं है।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 77 कॉलेजों में से 22 से ज्यादा कॉलेज बिना किसी स्थायी प्रिंसिपल के चल रहे हैं। इससे नाराज विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने नियुक्ति की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाने की मांग की है।