ब्रसेल्स हमलों के बाद भड़की मुस्लिम विरोधी भावनाओं के बीच पोप फ्रांसिस ने मुस्लिम, ईसाई एवं हिंदू शरणार्थियों को एक ही ईश्वर की संतान बताते हुए उनके पैर धोए और उन्हें चूमा।
खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने बांग्लादेश में भारत की सीमा से सटे एक मंदिर के हिंदू पूजारी की नृशंस हत्या का दावा किया है। बंदूक और चाकू के इस्तेमाल से की गई पुजारी की हत्या हिंदुओं के खिलाफ इस आतंकी संगठन का पहला हमला है।
11वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर चंदेरी, जो बुंदेलों और मालवा के शासकों द्वारा बनवाया गया। ऐतिहासिक इमारतों और गुप्त, प्रतिहार, गुलाम, तुगलक, खिलजी, अफगान, गौरी, राजपूत और सिंधिया वंश द्वारा शासित रहा चंदेरी अब खास रेशमी के कपड़ों के लिए भी जाना जाता है। इससे इतर अपने कलात्मक इतिहास के कारण चंदेरी कभी सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी जाना जाता था।
पाकिस्तान की सिंध विधानसभा ने आज हिंदू विवाह अधिनियम पारित कर उसे देश का ऐसा पहला प्रांत बना दिया जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय अपनी शादियों का पंजीकरण कराएगा। हालांकि, एक प्रमुख हिंदू संगठन ने इस ऐहितासिक विधेयक से एक विवादास्पद उपबंध हटाने की मांग की है।
वेलेंटाइन डे समारोहों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के कई कार्यकर्ताओं को हैदराबाद के विभिन्न हिस्सों में हिरासत में ले लिया गया। दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा व्यवधान उत्पन्न किये जाने की आशंका को लेकर पुलिस ने हैदराबाद में सुरक्षा कड़ी कर दी है।
पाकिस्तान में दशकों के विलंब और निष्क्रियता के बाद हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के पास अब जल्दी ही एक विवाह कानून होगा। देश के संसदीय पैनल ने हिंदू विवाह विधेयक को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का कहना है कि सरकार राम मंदिर मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण के संबंध में कोई फैसला करेगी।
देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि उनके विचार में भारत एक असहिष्णु देश नही है। लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि देश में धर्मनिरपेक्ष लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही सवाल क्यों उठाते हैं, मुस्लिम कट्टरपंथियों को क्यों छोड़ देते हैं। तसलीमा ने कहा कि छद्म-धर्मनिरपेक्षता पर आधारित लोकतंत्र कभी सच्चा लोकतंत्र नहीं है।
सीताराम, राधेश्याम, लक्ष्मीपति विष्णु, शिव-पार्वती की जयकार के साथ धर्म ध्वजा फहराने वाले धर्मगुरु, नेता, समाजसेवी की आवाज अहमदाबाद-पुणे में क्यों नहीं सुनाई दी? ब्रह्मांड न सही, विश्व हिंदू परिषद के गरजने वाले नेता तिलक और कमंडल के साथ मातृशक्ति के लिए मैदान में ‘संकीर्ण’ और सत्ता व्यवस्था के समक्ष खड़े क्यों नहीं दिखाई दिए?