जनगणना के धर्म से जुड़े आंकड़ें सार्वजनिक होने के बाद प्रवीण तोगड़िया और साक्षी महाराज जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने आबादी को लेकर मुस्लिमों पर हमले तेज कर दिए हैं।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश में मुसलमानों की पहचान और सुरक्षा की समस्याओं के हल के लिए रणनीतियां बनाने की वकालत करते हुए सरकार से इस दिशा में सकारात्मक कार्रवाई करने तथा सबके विकास के लिए नीति बनाने की मांग की थी। अपने भाषण में उपराष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी के नारे सबका साथ सबका विकास की तारीफ की पर इसमें मुसलमानों को भी वाजिब हक के साथ शामिल करने पर जोर दिया था।
अभी महाराष्ट्र में डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या जहन में ताजा ही थी कि चरमपंथियों ने डॉ. एमएम कलबुर्गी की भी हत्या कर दी और भावित शेट्टी के ट्वीट ने एक और हत्या करने की धमकी दे डाली। आज सोशल मीडिया पर दिनभर इस प्रगतिशील लेखक की हत्या का मुद्दा छाया रहा।
प्रसिद्ध विचारक और इतिहासकार प्रो. एमएम कलबुर्गी की अज्ञात बंदूकधारियों ने धारवाड़ में उनके घर पर गोलीमार हत्या कर दी। अंधविश्वास विरोधी और धार्मिक टिप्पणियों की वजह से वह लगातार कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर थे।
ऐसा लगता है कि हिंदूवादी शक्तियों ने धार्मिक जनगणना के आंकड़ों को भुनाना शुरू कर दिया है। तभी तो शिवसेना की आगरा इकाई ने उन हिंदू परिवारों को दो लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है जिनके परिवार में पांच बच्चे होंगे।
'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
केंद्र सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए लेकिन अभी जाति आधारित जनगणना के नतीजे नहीं जारी हुए। जबकि कई राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं।
अगर आजादी का मतलब विदेशी हुकूमत से आजादी है तो वह यकीनन हमने हासिल कर ली। लेकिन सवाल यह है कि क्या महिलाओं को परंपराओं-मान्यताओं की जकड़न से आजादी मिली ? या पुराने पड़ चुके कानूनों ने उन्हें दूसरे तरह की जकड़न में बांध दिया है, आजाद हिंदुस्तान के कानूनों की बेड़ियां ?