पांच राज्यों के चुनाव नतीजों वाले दिन सारा फोकस तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड पर ही केंद्रित रहा जहां भाजपा की दो और कांग्रेस की एक राज्य में जोरदार वापसी हुई है। इस गहमागहमी ने दो छोटे राज्यों पर लोगों का ध्यान नहीं गया जहां जनता ने किसी को भी साफ बहुमत नहीं दिया। भाजपा ने पूर्वोत्तर से कांग्रेस को साफ करने के अपने अभियान के तहत इस बार मणिपुर में पूरा जोर लगाया था और उसे 60 में से 21 सीटें भी मिली मगर पार्टी बहुमत से 10 सीटें दूर रह गई। दूसरी ओर राज्य में लगातार जीत रही कांग्रेस पार्टी भी 28 सीटें जीतकर बहुमत से तीन सीटें दूर खड़ी है। खास बात यह है कि यहां सत्ता की चाबी तीन छोटे दलों और निर्दलीयों के पास है जिन्होंने 11 सीटें जीत ली है। इनमें से चार-चार सीटें नगा पीपुल्स फ्रंट(एनपीएफ) और नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने जबकि एक-एक सीटें तृणमूल कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी और निर्दलीय ने जीती है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम ने शनिवार को असम के कोकराझार पहुंच कर उस स्थान की गहन जांच की जहां शुक्रवार को आतंकवादी हमला हुआ था। जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शियों से भी बातचीत की।
भारतीय जनता पार्टी ने असम को आधार बनाकर संपूर्ण पूर्वोत्तर में न केवल अपना जनाधार बढ़ाना आरंभ कर दिया है, बल्कि उसी दिशा में आगे बढ़ चुकी है। वैसे भी गुवाहाटी पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार है और गुवाहाटी में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार बन चुकी है। उसी तरह भाजपा अब दिसपुर में प्रवेश करने के बाद संपूर्ण पूर्वोत्तर में अपना प्रभाव बढ़ाने के अभियान में लग गई है।
असम के गुवाहाटी के खानपारा मैदान में सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रगान से शुरू हुए शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।
आगामी असम विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर अपनी-अपनी पार्टियों से नाराज भाजपा और असम गण परिषद (एजीपी) के स्थानीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से ने आज ब्रमपुत्र घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पुतला फूंका। साथ ही, उन्होंने आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतारने की धमकी दी। विभिन्न जिलों में कार्यालय के फर्नीचर तोड़ कर प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला और अपने पार्टी नेताओं के पुतले फूंके।