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एक्सक्लूसिव- मलेशिया ने मप्र में निवेश से तौबा करने की चेतावनी दी

एक्सक्लूसिव- मलेशिया ने मप्र में निवेश से तौबा करने की चेतावनी दी

मलेशिया ने चेताया है कि वहां की कंपनियां भारत में निवेश करने से तौबा कर सकती हैं। वे भारत, खासकर मध्य प्रदेश में अपने निवेश की सुरक्षा और यहां की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट हैं। भारत में मलेशिया के हाई कमिश्नर दातुक नैमन अशाकिल बिन मोहम्मद ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर वहां निवेश करने वाली एक कंपनी का भुगतान रोके जाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने लिखा है कि अदालत के फैसलों के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार के `मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमपीआरडीसी)‘ ने भुगतान रोक रखा है।
भाजपा शासित मप्र-छग में कालाधन घोषित करने वाले 193 फीसदी बढ़े

भाजपा शासित मप्र-छग में कालाधन घोषित करने वाले 193 फीसदी बढ़े

भाजपा शासित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आय घोषणा योजना आईडीएस के बाद कालाधन घोषित करने वालों की संख्‍या में खासी बढ़ोतरी हुई है। इन दोनों राज्‍यों में 20 दिनों में लोगों की संख्‍या 193% बढ़ी है। इस योजना के प्रारंभ में इन दो राज्यों में बिना पैन के 36,000 लेन-देन की जानकारी विभाग के पास थी। इन सभी को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद काफी लोगों ने अपनी आय घोषित की।
मप्र के नौकरशाहों में जनता से जुड़नेे की नहीं है रुचि

मप्र के नौकरशाहों में जनता से जुड़नेे की नहीं है रुचि

सूबे की भाजपा सरकार के पुरजोर प्रयासों के बाद भी प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर जनता से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने से हिचक रहे हैं। अधिकारियों का आम आदमी से कोई सीधा संवाद नहीं है। जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोशल मीडिया के जरिए सरकार के कामकाज का फीडबैक ले रहे हैं। और जनता से जुड़कर लोक कल्‍याण के कार्यों में अधिक योगदान देना चाहते हैं।
मप्र के गांवों में नहीं है स्वच्छता अभियान का असर

मप्र के गांवों में नहीं है स्वच्छता अभियान का असर

स्वच्छता अभियान का असर भाजपा शासित राज्यों में ही नहीं है। राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस ने देश के 26 राज्यों का सर्वे किया और यह नतीजे सामने आए हैं। सर्वे में पता चला है कि मध्य प्रदेश के गांव देश में चौथे सबसे गंदे गांव हैं, जबकि साफ-सफाई में सिक्किम के गांवों ने बाजी मारी है।
मप्र विधानसभा भी गए थे तरुणसागर महाराज

मप्र विधानसभा भी गए थे तरुणसागर महाराज

हरियाणा विधानसभा में जैन संत तरुणसागर महाराज के कड़वे प्रवचन पर वाद-विवाद चल रहा है। पक्ष-विपक्ष के बीच वह अब तक कहां-कहां प्रवचन देने गए हैं इसका लेखा-जोखा निकाला जा रहा है।
यूनीसेफ की रिपोर्टे में मप्र अब भी बीमारू राज्य

यूनीसेफ की रिपोर्टे में मप्र अब भी बीमारू राज्य

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही अपने राज्य को बीमारू राज्य से निकाल कर विकसित राज्य की श्रेणी में लाने का दावा करते हों पर यूनीसेफ की रिपोर्ट इससे अलग स्थिति की ओर संकेत करती है।
मप्र नगरपालिका चुनावों में बीजेपी ने मुंह की खाई

मप्र नगरपालिका चुनावों में बीजेपी ने मुंह की खाई

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजना शुरू हो गई है। हाल ही में हुए नगरपालिका चुनावों में भाजपा ने फिर मुंह की खाई है। राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा है। मध्यप्रदेश में हुए तीन नगर पालिका चुनावों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गए हैं। तीनों ही जगहों पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। तीनों विजेताओं के जीत का अंतर ज्यादा है। भोपाल में हिंदू उत्सव समिति के चुनाव में भी भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।
मप्र में भारी वर्षा से 15 लोगों की मौत, शिवराज ने बुलाई आपात बैठक

मप्र में भारी वर्षा से 15 लोगों की मौत, शिवराज ने बुलाई आपात बैठक

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अनेक भागों में पिछले कुछ दिन से हो रही लगातार तेज बारिश से कई निचले स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बन गई है। करीब आधे मध्यप्रदेश में तो पानी ही पानी हो गया है। कई नदियां उफान पर है। 16 जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वर्षा और बाढ़ से प्रदेश में अब तक 15 लोगों की मौत हुई है।
अम्‍मा की जीत और नेहरु की तरफदारी, मप्र के दो कलेक्‍टरों से भाजपा नाराज

अम्‍मा की जीत और नेहरु की तरफदारी, मप्र के दो कलेक्‍टरों से भाजपा नाराज

भााजपा शासित मध्‍य प्रदेश के दो कलेक्‍टर फेसबुक और ट्विटर पर राजनैतिक टिप्‍पणी करके फंस गए हैं। उनके आला अफसरों ने कहा है कि अगर ये दोनों अफसर नियमों के तहत दोषी पाए गए तो इन पर कार्रवाई की जाएगी।
व्यापमं: मप्र सरकार ने वकीलों पर खर्च किए सवा करोड़

व्यापमं: मप्र सरकार ने वकीलों पर खर्च किए सवा करोड़

एक गैर सरकारी संगठन का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने व्यापमं और डीमैट घोटाले के मामलों में सीबीआई जांच से बचने के लिए वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं लीं। यही नहीं राज्य सरकार ने इसके लिए अपने ही विधि विभाग के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया और सेवा के लिए उन वकीलों को सवा करोड़ रुपये का भुगतान भी किया।
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