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माल्‍या लौटने को राजी, चाहते हैं आजादी और सुरक्षा, लोन भी चुकाएंगे

माल्‍या लौटने को राजी, चाहते हैं आजादी और सुरक्षा, लोन भी चुकाएंगे

बैंकों के 9000 करोड़ का लोन नहीं चुकाने पर दिवालिया घोषित हो चुके विजय माल्या जल्‍द भारत लौटना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए उन्‍होंने कुछ शर्त रखी है। मीडिया की खबरों के अनुसार माल्या का कहना है कि उनकी सुरक्षा और आजादी का सरकार को पूरा भरोसा देना होगा।
डीडीसीए विवादः कीर्ति आजाद ने दिल्ली के कंपनी रजिस्ट्रार को घेरा

डीडीसीए विवादः कीर्ति आजाद ने दिल्ली के कंपनी रजिस्ट्रार को घेरा

भाजपा के लोकसभा सांसद और देश के जाने-माने पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने दिल्ली क्षेत्र के कंपनी रजिस्ट्रार पर आरोप लगाया है कि दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के नाम पर कंपनी रजिस्ट्रार एवं उनकी टीम ने लीपापोती की है।
विश्वभारती के कुलपति को बर्खास्त करने की अनुशंसा

विश्वभारती के कुलपति को बर्खास्त करने की अनुशंसा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वभारती विश्वविद्यालय (शांति निकेतन) के कुलपति सुशांत दत्तगुप्ता को बर्खास्त करने की अनुशंसा की है। अगर उनकी बर्खास्तगी हुई तो इस तरह हटाए जाने वाले वे किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले कुलपति हो सकते हैं।
11 कंपनियों को पेमेंट्स बैंक लाइसेंस की मंजूरी

11 कंपनियों को पेमेंट्स बैंक लाइसेंस की मंजूरी

जानी-मानी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन, आरआईएल और आइडिया जैसी 11 कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक ने सैद्धांतिक रूप से बैंक लाइसेंस दे दिया है। यह फैसला देश के लाखों नागरिकों को औपचारिक बैंकिंग पद्धति से बैंक भुगतान की सुविधा देने के मकसद से किया गया है।
मिठास सरहदों की मोहताज नहीं

मिठास सरहदों की मोहताज नहीं

दूध-खोए की बनी मिठाइयां सत्ता हठ के चलते सरहदों की मोहताज हो सकती हैं लेकिन रिश्तों की मिठास किसी लकीर और सरहद की मोहताज नहीं। राजनयिक संबंधों में तनातनी के चलते इस दफा बेशक सरहद पर दोनों देशों ने एक-दूसरे को मिठाइयां नहीं दीं लेकिन इस पार और उस पार के लोगों ने इस रवायत को कायम रखते हुए बता दिया कि दिलों के रिश्ते सरहदी कांटेदार तारों से नहीं काटे जा सकते।
पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
पेट्रोलियम कंपनियों का वित्तीय बोझ कम करे सरकार

पेट्रोलियम कंपनियों का वित्तीय बोझ कम करे सरकार

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि तेल एवं गैस उत्खनन करने वाली ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों का शुद्ध मार्जिन कच्चे तेल के दामों में कमी के कारण घट गया है, लिहाजा उन पर वित्तीय बोझ कम किया जाना चाहिए।