बड़े पर्दे पर अपने अभिनय का जौहर दिखाने के बाद बॉलीवुड स्टार नवाजुद्दीन सिद्दीकी अब लेखन में अपना कमाल दिखाने वाले हैं और अब उन्होंने अपने हाथों में कलम थाम ली है।
बाबूमोशाय बंदूकबाज फिल्म के शीर्षक से यह तो पता चल रहा है कि यह बंदूक की कहानी है। बंदूक होगी तो गोलियां भी होंगी, गोलियां होंगी तो गालियां खुद ब खुद चली आएंगी और खून...वह तो फैलेगा ही।
इंग्लिश-विंग्लिश के बाद श्रीदेवी ने मॉम के रूप में एक बार फिर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। फिल्म शुरू होते ही लगता है कि निर्देशक रवि उद्यावर कुछ ऐसा रचने जा रहे हैं जो श्री और सभी के खाते में एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज करा जाएगा। लेकिन फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, बॉलीवुडिया मसाले की अधिकता उसे एक आम फिल्म बना कर छोड़ती है। फिल्मी संवाद, रोना, फिर विलेन को मारना और दो लोगों की गलतफहमी प्यार में बदल जाती है। बस फिल्म खत्म।
कांग्रेस नेता बाबा सिद्दकी और रफीक मकबूर कुरैशी के अलग अलग ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई मनी लांड्रिंग मामले में की गई है। बाबा पर आरोप है कि मुंबई स्थित बांद्रा के स्लम एरिया के विकास के नाम पर सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया गया है। इसके अलावा एक जमीन के टुकड़े के विवाद के चलते दाऊद ने बाबा को धमकी भी दी थी कि तुम्हारी फिल्म बनवा दूंगा, ‘एक था एमएलए’।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी के संघर्ष की दास्तान अब किसी के लिए नई नहीं है। उन्होंने अपने जीवन में लंबा वक्त संघर्ष कर बिताया है। जब तक नवाज, फैसल (गैंग्स ऑफ वासेपुर में उनके किरदार का नाम) में नहीं बदल गए तब तक उनके दिन नहीं बदले थे। उनके लिए पहले जन्मदिन सिर्फ एक तारीख तक सिमटा रहता था लेकिन अब 19 मई पर उनके पास बधाई का तांता लगा रहता है।
अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के लिए एक अच्छी खबर है। दिल्ली की दो रामलीला समितियों ने नवाजुद्दीन को अपनी रामलीला में भूमिका देने की पेशकश की है। दरअसल अपने शहर मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना की रामलीला में उनके भागे लेने का विरोध किए जाने पर नवाज ने निराश होते हुए कहा था कि रामलीला में अभिनय करना उनके बचपन का सपना है।
सुपरस्टार सलमान खान का मानना है कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक टेक में शानदार शॉट देने वाले अभिनेता हैं। गैंग ऑफ वोसेपुर से मशहूर नवाजुद्दीन सिद्दीकी सलमान की अगली फिल्म फ्रीकी अली में एक गोल्फर की भूमिका में हैं।
रमन राघव 2.0 अनुराग कश्यप स्टाइल की फिल्म है। यानी लंबी स्क्रिप्ट और एडिटिंग से जूझती हुई फिल्म। फिल्म हिचकाले खाती धीरे-धीरे चलती है और लगता है पता नहीं यह खत्म कैसे होगी। यह तो तय है कि यह फिल्म पूरी तरह अनुराग कश्यप के मुरीदों के लिए ही है।
सुजय घोष की फिल्म ‘कहानी’ ने हिंदी थ्रिलर को नया रूप दिया था। कहानी बहुत ‘पेस’ के साथ चलती है। तीन के निर्माता के तौर पर सुजाय रिभू दासगुप्ता को बताना भूल गए होंगे कि वह उनकी छाया से बाहर जाकर भी फिल्म बना सकते हैं।