प्रियंका चोपड़ा हमेशा अपने प्रेम जीवन पर खुलकर बात नहीं करती हैं मगर हॉलीवुड में मिली सफलता से उत्साहित अभिनेत्री ने कहा कि वह कभी अचानक किसी के साथ डेट पर नहीं गई हैं।
मिस्र में सत्ता से बेदखल किए गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सरकारी खुफिया जानकारी कतर और दोहा स्थित एक टीवी नेटवर्क को देने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि 6 सह प्रतिपादियों को मौत की सजा सुनाई गई। काहिरा आपराधिक अदालत ने मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के 6 सदस्यों की मृत्युदंड की सजा बरकरार रखी और दो अन्य को उम्रकैद सुनाई। मिस्र में आजीवन कारावास की सजा 25 साल है।
डेनिश महिला से सामूहिक बलात्कार मामले में दिल्ली की एक अदालत ने पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि साल 2014 में अपहरण और सामूहिक बलात्कार की यह घटना अमानवीय और नृशंस थी जिसने राष्ट्र की छवि को दागदार किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंडियन इस्लामिक सेंटर में फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी की पहली पुस्तक किस ऑफ लाइफ का विमोचन किया। किताब पेंग्विन रैंडम हाउस से प्रकाशित है।
रिलायंस फाउंडेशन की प्रमुख नीता अंबनी को फोर्ब्स ने एशियाई की सबसे शक्तिशाली महिला कारोबारी करार दिया है जो इस क्षेत्र की 50 प्रमुख उद्यमियों की सूची में शीर्ष पर हैं। इस सूची में भारतीय आठ महिलाओं ने स्थान बनाया है।
महिला शिक्षा और सशक्तीकरण का बीड़ा उठा रहीं महिला हस्तियों की दिलचस्प और अनुकरणीय पहल, जो कारोबार, खेल और बैंकिंग क्षेत्रों में कामयाबी की बुलंदी छू रही हैं
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से बौखलाई भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल असम विधानसभा के मद्देनजर अपनी रणनीति बदल ली है। सूत्रों के अनुसार, असम प्रदेश अध्यक्ष की कमान सिद्धार्थ भट्टाचार्य की जगह अब केंद्रीय खेलमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को सौंपी है।
झाबुआ के पेटलवाद में डिटोनेटर का अवैध कारोबार सौ के करीब जिंदगियां लील गया। सिलसिला थमा नहीं है। झाबुआ कांड से भी अगर सरकार नहीं जागती है तो राजस्थान के अरावली क्षेत्र में झाबुआ कांड होते देर नहीं लगेगी। एक तरह से बारूद के ढेर पर बैठा है यह इलाका। खनन का विरोध करने वाले गांववासी हजारों दफा शिकायत कर चुके हैं। डिटोनेटर के कई ट्रक पकड़वा चुके हैं। यहां तक कि इस इलाके में जाने पर डिटोनेटर की पेटियां खुले में यहां-वहां पड़ी मिल जाती हैं लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन बिल्कुल मूक हैं। गांववासियों की कोई सुनवाई नहीं।
देश के लाखों पेंशनभोगियों को अपने जीवित रहने का प्रमाण देने के लिए कहीं और नहीं भटकना पड़ेगा। केंद्र सरकार जल्द एक नया पोर्टल शुरू करने जा रही है जहां उन्हें डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी।