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स्टार्ट-अप सूचीबद्धता प्लेटफार्म को आकर्षक बनाया जाएगा, नियमों में मिलेगी ढील

स्टार्ट-अप सूचीबद्धता प्लेटफार्म को आकर्षक बनाया जाएगा, नियमों में मिलेगी ढील

पूंजी बाजार नियामक सेबी की स्टार्ट-अप सूचीबद्धता प्लेटफार्म को अधिक आकर्षक बनाने के लिये अगले महीने तक नियमों में ढील देने की योजना है। इसका मकसद इस क्षेत्र को कोष जुटाने के लिए उपयोगी बनाने में मदद करना है। साथ ही उनके विदेशी निवेशकों सहित मौजूदा निवेशकों को आसानी से बाहर निकलने का मौका उपलब्ध कराना है।
अस्पष्ट शब्द वाले कानूनों से असंतोष को दबाता है भारत: मानवाधिकार समूह

अस्पष्ट शब्द वाले कानूनों से असंतोष को दबाता है भारत: मानवाधिकार समूह

मानवाधिकार समूह द ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि भारत राजद्रोह और आपराधिक मानहानि जैसे अस्पष्ट शब्दों वाले कानूनों का इस्तेमाल नियमित रूप से असंतोष को दबाने के लिए राजनीतिक हथियार के तौर पर करता है। एचआरडब्ल्यू ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह ऐसे कानूनों को रद्द करे जिनका इस्तेमाल शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को गैरकानूनी घोषित करने के लिए किया जाता है।
अच्छा मानसून होने पर और तेज गति से आगे बढ़ेगा भारत : वित्त मंत्री

अच्छा मानसून होने पर और तेज गति से आगे बढ़ेगा भारत : वित्त मंत्री

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरुवार को कहा कि दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था, भारत, अच्छे मानसून का पूर्वानुमान साकार होने पर और अधिक तेज गति से वृद्धि दर्ज करेगा।
दालों को छोड़कर खरीफ फसलों के एमएसपी में मामूली वृद्ध‍ि

दालों को छोड़कर खरीफ फसलों के एमएसपी में मामूली वृद्ध‍ि

खरीफ फसलों के लिए केंद्र सरकार ने न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य का ऐलान किया है। हालांकि अरहर, मूंग और उड़द पर 200 रुपये का अतिरिक्‍त बोनस दिया जाएगा लेकिन धान, कपास, ज्‍वार, बाजार जैसी अधिकांश खरीफ फसलों के समर्थन मूल्‍य में 15 से 50 रुपये तक की मामूली बढ़ोतरी की गई है।
चीनी मिलों को 6000 करोड़ का कर्ज, दालों के आयात की नौबत

चीनी मिलों को 6000 करोड़ का कर्ज, दालों के आयात की नौबत

दालों की बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने दालों के आयात का फैसला किया है जबकि चीनी मिलों को 6 हजार करोड़ रुपये के ब्‍याज मुक्‍त कर्ज दिया जाएगा। इससे पहले भी केंद्र और राज्‍य सरकारें चीनी मिलों को कई राहत पैकेज दे चुकी हैं। इसके बावजूद गन्‍ना किसानों को करीब 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों के पास अटका हुआ है।
व्यापार की राह पर खेती

व्यापार की राह पर खेती

विकास के तमाम दावों और चकाचौंध के बीच खेती और किसानी चर्चा के पाएदान पर ही रहती है। केंद्र सरकार के एक साल पूरे होने पर जहां तमाम दूसरे क्षेत्रों की सघन पड़ताल हो रही है, वहीं कृषि पर तवज्जो कम रही। वह भी तब जब पिछले तीन-चार महीने से मौसम की मार की वजह से फसल बर्बाद होने और किसानों की आत्महत्या ने देश का ध्यान बरबस ही गहराते कृषि संकट की ओर खींचा था। नरेंद्र मोदी सरकार को एक साल में किसानों की आत्महत्या, मुआवजा, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे पर विपक्षी दलों ने घेरने की लगातार कोशिश की और इसी पर केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। इन तमाम ज्वलंत सवालों और संकट से बाहर निकलने की सरकार की रणनीति पर बिहार के मोतिहारी से पांच बार से सांसद और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश
भीषण गर्मी के बाद मानसून ने कराया इंतजार

भीषण गर्मी के बाद मानसून ने कराया इंतजार

मौसम विभाग के अनुमानों पर पानी फेरता हुए मानसून पिछले हफ्ते भर से श्रीलंका के आसपास ठहरा हुआ है। मौसम विभाग ने अब 4 जून तक मानसून के केरल तट पर पहुंचने की उम्‍मीद जताई है।
मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

मोदी राज में 64 फीसदी तक महंगी हुई दालें

मोदी सरकार के एक साल के दौरान विभिन्‍न महानगरों में दालों के दाम 64 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। महंगाई से राहत के तमाम दावों के बावजूद आम आदमी पर महंगाई की मार बदस्‍तूर जारी है।
कुछ सवाल जो पनगढ़िया छिपा गए

कुछ सवाल जो पनगढ़िया छिपा गए

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने ब्लॉग में देश की आर्थिक तरक्की का जिक्र किया है और इसमें कृषि को छोड़ अन्य दूसरे क्षेत्रों का योगदान बताया है। लेकिन उन्होंने यह जिक्र करना शायद उचित नहीं समझा कि पिछले जिस दशक के दौरान अर्थव्यवस्‍था में सबसे तेज विकास हुआ, उसी अवधि में रोजगार की विकास दर सबसे धीमी क्यों रही?
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