अभिनेता अजय देवगन का कहना है कि जब राष्ट्रवाद की बात आती है तो फिल्म उद्योग एकजुट है लेकिन जब बीच में राजनीति घुस जाती है तो बॉलीवुड पूरी तरह भयभीत और कमजोर हो जाता है।
क्रिकेट बोर्ड में सुधार के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जस्टिस लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई के खिलाफ कड़ा रुख अपना लिया है। समिति ने बीसीसीआई का खाता रखने वाले बैंकों को आज एक निर्देश जारी कर कहा है कि वे भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा 30 सितंबर के विशेष आम बैठक में लिए गए वित्तीय फैसलों के संबंध में किसी भी राशि का भुगतान नहीं करे।
ए.के.- 67 के कारतूस लगातार खोखले और ‘आप हंता’ साबित हो रहे हैं। 70 में से 67 का भारी बहुमत और टोपी-कमीज-चप्पल से बनी प्रारंभिक लोकप्रिय छवि वाला मुख्यमंत्री भारतीय राजनीति में पहले कभी नहीं उभरा। केवल दो साल की राजनीतिक गोलीबारी के साथ संपूर्ण भारत पर राजनीति की महत्वाकांक्षा पालने वाले ए.के. यानी अरविंद केजरीवाल अब हैरान हैं।
शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं करने पर बीसीसीआई के अध्यक्ष और सचिव सहित अन्य शीर्ष अधिकारियों को हटाने की मांग वाली लोढ़ा समिति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को कड़ी फटकार लगाते हुए आदेशों का पालन करने को कहा।
भारतीय मुक्केबाजी में पिछले चार साल से चल रही उथल-पुथल को खत्म करने के प्रयास में भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को व्यवसायी अजय सिंह के रूप में अपना अध्यक्ष मिला जिन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष घोषित चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की। स्पाइसजेट एयरलाइन्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह को 49 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी दिल्ली के रोहित जैनेंद्र जैन को केवल 15 मत ही हासिल हुए।
भारतीय जनता पार्टी अपने नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी के अवसर पर राष्ट्रीय परिषद में भविष्य की दशा-दिशा तय कर रही है। दीनदयालजी कांग्रेस और पंडित नेहरू की विचारधारा से कई अहसमतियां रखते थे और कम्युनिस्टों के तो बिल्कुल विरोधी थे। लेकिन भारतीय जनसंघ (जो एक बार जनता पार्टी में विलय के बाद पुनः भारतीय जनता पार्टी बन गई) के लिए भी दीनदयाल उपाध्याय सामाजिक-आर्थिक समानता, ग्रामीण अंत्योदय, राजनीतिक ईमानदारी, त्याग, सत्ता में दंभ के बजाय जनता की सेवा और समर्पण के विचारों को बढ़ाना चाहते थे।
मराठा पृष्ठभूमि गौरवशाली रही है। मराठा राजा-महाराजाओं का सत्ताकाल, स्वतंत्रता आंदोलन और आजाद भारत में आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का बड़ा श्रेय मराठा समुदाय को मिलता है। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर जैसे क्षेत्रों में उद्योग-व्यापार, शिक्षा, पर्यटन, सहकारी समितियों की संस्था एं, कृषि, विज्ञान इत्यादि में नए रिकॉर्ड बने हैं। फिर भी पिछले दिनों राजनीतिक इरादों से मराठा आरक्षण देने की मांग को लेकर हजारों लोगों का प्रदर्शन हुआ है।
भारत पिछले कई वर्षों से अमेरिका सहित दुनिया के देशों को पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी दानवों के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करता रहा है। फिर भी अमेरिका बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आर्थिक मदद एवं अत्याधुनिक हथियार देता रहा। ओसामा बिन लादेन के तालिबानी हमले के बाद उसने अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों पर बमबारी की और सैनिक तैनात किए लेकिन पाकिस्तान में छिपे लादेन के अपवाद को छोड़कर किसी आतंकवादी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया।
भारतीय सैनिक टुकड़ी पर पाकिस्तानी आतंकवादी हमले को कायराना और निंदनीय कहते हुए उत्तेजक प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और देश भर में आक्रोश भी उचित है। लेकिन यह पहला अवसर नहीं है। 1947 से आज तक पाकिस्तान ने भारतीय सीमाओं पर हर सभंव हमले, घुसपैठ और गड़बड़ियां की हैं। सन 1965 और 1971 के पाकिस्तानी आक्रमण का करारा जवाब लालबहादुर शास्त्रीर और इंदिरा गांधी ने दिया था। दोनों अवसरों पर पाकिस्तानी सेना को करारी पराजय के साथ समर्पण करना पड़ा था।
आप इस शीर्षक से असहमत हो सकते हैं। इसे शिरोधार्य करना हमारा भी कर्तव्य है। सामान्यतः मीडिया असहमतियों को विद्रोह, धमाके, टूट, बिखराव, टकराव की तरह पेश करता है। इसकी वजह यही है कि धीरे-धीरे समाज में असहमतियों को विरोध की तरह अनुचित माना जाने लगा है। महात्मा गांधी या अब्राहम लिंकन, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी (आपातकाल के अपवाद को छोड़कर), अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने यदि असहमतियों, अपनों की कड़वी खरी-खोटी नहीं सुनी होती तो, राजनीतिक दलों या लोकतांत्रिक सरकारों में संभवतः कई महत्वपूर्ण फैसले ही नहीं हो पाते।